रविवार, 2 दिसंबर 2018

निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप रबी सीजन में नहीं हो पाई बोवनी

कीर्तिप्रभा न्यूज नेटवर्क
रीवा। रबी सीजन में किसानों द्वारा की जाने वाली बोवनी को लेकर कृषि विभाग ने चालू वर्ष में जो लक्ष्य निर्धारित किया था वह लक्ष्य प्राप्त करने में कमजोर साबित हो रहा है और अब तक हुई बोवनी पर नजर दौड़ाई जाए तो जिले में 252ण्34 रकबा हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों ने बोवनी कर रखी है। जबकि लक्ष्य के हिसाब से 307 हेक्टेयर में बोवनी में किया किया जाना निर्धारित था। रबी सीजन में गेहूंए जौए चनाए मटरए मसूरए सरसोए अलसी यानी कि 7 तरह की फसलों की बोवनी किसानों ने कर रखी है। सभी फसलों में लक्ष्य के हिसाब से बोवनी पिछड़ी है और इसका असर फसलों के न सिर्फ उत्पादन पर पड़ेगा बल्कि जमीन खाली पड़ी हुई है। मुख्य फसल गेहूं की बोवनी किसानों ने महज 140ण्495 हेक्टेयर क्षेत्र में बोवनी कर रखी है। जबकि गेहूं के लिए 165 हेक्टेयर क्षेत्र में लक्ष्य लिया गया था।
यह बनी समस्या
रबी सीजन में फसलों की बोवनी कमजोर होने के पीछे अल्प वर्षा को एक बड़ा कारण विभाग बता रहा है। चालू वर्ष में जिले में 808ण्4 मिमी वर्षा अब तक में हुई है। जबकि जिले का औसत बारिश 1044ण्506 मिमी है। बताया जा रहा है कि गत वर्ष इस अवधि में सामान्य से ज्यादा 1143ण्4 मिमी वर्षा रिकार्ड हुई थी। विभाग का कहना है कि बारिश कम होने के कारण खेतों में नमी नहीं बन पाई है। जिसके चलते किसान बोवनी नहीं किए हैं तो वहीं बारिश के आसार न होने से किसानों ने बोवनी करने में रुचि कम दिखाई है। दूसरी समस्या बोवनी के पीछे ऐरा प्रथा को बताया जा रहा है। मवेशी खुलेआम घूम रहे हैं और इससे खेतों में फसल को सीधे नुकसान मवेशी पहुंचाते हैं। जिसके चलते किसान बोवनी करने से अब भगने लगा है। बता दें कि कई बार ऐरा प्रथा को लेकर आवाज उठाई जा चुकी है। लेकिन सक्षम कार्रवाई और ठोस नीति न बनने के कारण यह समस्या जस की तस बनी हुई है और इसका असर बोवनी पर भी पड़ रहा है।
किसानों को नहीं मिलती सही जानकारी
उन्नत खेती को लेकर शासन.प्रशासन भले ही लाखों दावे करेए लेकिन सच्चाई यह है कि इसकी जानकारी हवा.हवाई ही साबित हो रही है। चंद किसानों के बीच बैठकर उन्नति खेती सहित अन्य जानकारियां शेयर की जा रही हैं। जबकि सामान्य किसानों तक खेती को लेकर शासन से बनाई जाने वाली योजना और उन्नत खेती एवं बीज के संबंध में जानकारी नहीं पहुंच पाती है। पुरानी तकनीक से ही किसान खेती करने के लिए मजबूर हो रहे हैं और खेती में उसे लाभ न मिलने के कारण बोवनी को लेकर उसकी रुचि घटती जा रही है। जबकि जरूरत है कि खेती को लेकर ज्यादा से ज्यादा शासन.प्रशासन किसानों को जानकारी उपलब्ध कराकर उन्हें प्रोत्साहित करे। जिससे लक्ष्य से बढ़कर बोवनी का कार्य होने के साथ ही अच्छा उत्पादन भी जिले में हो सके।
भगवान भरोसे है खेती
जिले में अभी भी 40 प्रतिशत किसान भगवान भरोसे खेती के कार्य में लगे हुए हैं। उनके पास संसाधन न होने के कारण पुराने बीज का उपयोग करने के साथ ही बारिश के लिए भगवान को याद करते हैं। बारिश हुई तो फसल होती है अन्यथा उन्हें फसल में नुकसान उठाना पड़ता है। जबकि किसानों के लिए शासन द्वारा तरह.तरह की योजना और अनुदान दिए जाने की व्यवस्था बनाई गई है। जानकारी के अभाव में ऐसे 40 प्रतिशत किसान इसका लाभ नहीं ले पा रहे और उसका असर खेतों पर देखा जा रहा।
इनका कहना है
जो लक्ष्य निर्धारित किया गया था उसके अनुरूप बोवनी नहीं हो पाई है। जिले में इस वर्ष बारिश कम हुई है और ऐरा प्रथा के चलते किसानों ने रबी सीजन में बोवनी करने में रुचि कम ली है। किसानों को खेती संबंधी जानकारी दी जाती है। इसके लिए कन्ट्रोल रूम बनाया गया है जहां किसान जानकारी ले सकते हैं।
एसके माहौर उप संचालकए कृषि

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