बुधवार, 19 दिसंबर 2018

जनता की कसौटियों पर खरे उतरना कठिन डगर

सशक्त विपक्ष की भूमिका का निर्वहन चुनौती
रीवा। अभी हाल में ही सम्पन्न हुए पॉच राज्यो के चुनाव परिणाम सबके सामने है और इन पांच राज्यो के लोगों ने अपने अपने मतों का प्रयोग कर यह बता दिया है कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए मतदान करने की जरूरत है और यह भी बता दिया है कि एक बार चुनाव जीतने के बाद यह मुगालता न पाले न ही सत्ता के मद में चूर होकर मनमानी पर उतारू हो जाये। देश के हिन्दी भाषी बाले क्षेत्र राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में जहां विगत तीन पंचवर्षीय में भारतीय जनता पार्टी का शासन रहा है और तीनों प्रदेश में प्रदेश व देश की कई योजना में जो जनता के लिए लागू हुई थी और विकास के आयामों को छू रही थी वहां प्रदेश के मतदाताओं ने अपने मतो के प्रयोग से यह संदेश तो स्पष्ट दिया है कि योजनाएॅ ही काफी नहीं है और आपकी भाषा और हाव भाव अहंकार को छू रहे हैं यह ठीक नहीं है और इन तीनों राज्यों में जनादेश से सत्ता पर काबिज सरकारों को हटना पड़ा। देश की सत्तारूढ़ पार्टी तमाम राजनैतिक विश्लेषकों मीडिया हाउसों सहित चुनाव लड़ रहे कद्दावार नेताओं को भी यह आभास तभी था की उनके पैरो के नीचे की जमीने खसक चुकी है यह बात सत्ता में रहे कद्दावर भाजपा के नेता हो या विपक्ष में कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता दोनो प्रमुख पार्टियों के नेताओं को यह सोचने और विमर्श करने की आवश्यकता है की जनता ने उन्हे क्यो नकारा।
शोध का विषय है जनता के मनोभाव को समझने की:
राजनीति हमेशा से शोध का विषय होना चाहिये देश भर के राजनीतिक पार्टियों को कि वह कैसे उम्मीदवारों को चुने और जनता के मनोभावों को पहचान कर उनके उम्मीदवार के रूप में चयन कर चुनाव के मैदान में उतारे देश में बढ़ती साक्षरता की दरों के जहां मतदाताओं को जागरुक कर देश के सच्चे लोकतंत्र को पहचानने की समझ दे दी है मतदाताओं को वह अभूतपूर्व है जनता अब प्रलोभनों, झूठे, वादों, नारो के चक्कर में न पड़कर जागरुक हुई है अब मतदाता शराब, पैसे, कपड़े, कंबल तो नेताओं से ले तो लेते है पर मतदान के समय अपने विवेक को समझ कर ही मतदान कर रहे हैं। अब जनता नेता के चरित्र उसके क्रिया कलापो पर गहरा ध्यान में रख मन उनका आकलन कर ही मतो को देता है।
जनता की कसौटियों पर खरा उतरना कठिन डगर है:
देश में सही लोकतंत्र के लिए चुनाव जहां जरूरी है वही चुनाव जीतने का राजनैतिक दलों के सामने जनता की कसौटियों पर खरा उतरना कठिन डगर मालूम होती है चुनावों में किये वादों व मांगो को पूरा करना जहां इनकी नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए वह न तो पार्टी और न ही नेता खरे उतर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी जिसने तीन राज्यों में किसानों के कर्जमाफी, युवाओकं को रोजगार, बिजली पानी के बादो के साथ लोगों का ध्यान अपनी पार्टी की ओर खीच कर चुनावों में विजय श्री हासिल किया है।

 उसे पूरा करना कठिन डगर है।
सशक्त विपक्ष की भूमिका का निर्वहन कठिन चुनौती:
पॉच राज्यो के चुनावो में प्रमुख रूप से म.प्र., राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा के शासन का अंत हुआ है जो विगत पंद्रह वर्षो से सत्ता में रही है अब इन तीनों राज्यों में विपक्ष के सशक्त भूमिका भाजपा को ही निभाना है सत्ता चलाने का कुशल अनुभव अब विपक्ष की भूमिका में कितना काम आयेगा यह देखने योग्य होगा।

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