रक्षा मंत्रालय लेख विभाग सागर में सीनियर आडिटर के पद पर पदस्थ रहे प्रकाश द्विवेदी की रहस्ममय मौत का खुलासा आज तक न तो विवि थाने की पुलिस कर पाई और न ही पुलिस यह बता पा रही है कि मृतक की मौत किन कारणों से हुई जबकि मृतक के शरीर में पाये गये चोट के निशान और साक्ष्य के आधार पर यह माना जा रहा है कि मृतक प्रकाश द्विवेदी की सुनियोजित तरीके से हत्या की गई और हत्या करने के बाद शव के अंदर जो भी साक्ष्य थे उन्हें भी बाखूबी तरीके से समाप्त किया गया। हांलांकि विवि थाना की पुलिस ने तीन तरह के अपराध दर्ज किये हैं जिसकें 2 जून को लापता होने की 6 जून को टमस नदी में क्षतविक्षिप्त लाश पाये जाने पर मर्ग की और यह पता चल रहा है कि अभी हाल में पुलिस ने हत्या यानि &02 का मामला पंजीबद्ध किया है जिसकी पुष्टि पुलिस नहीं कर रही है। मृतक के परिवारजनों का आरोप है कि इस मामले में चाहे थाना अंतरैला की पुलिस हो या रीवा का सायबर सेल या फिर डायल 100 स ाी ने प्रकाश द्विवेदी के मौत के मामले में लापरवाही बर्ती। यदि पुलिस तत्परता दिखाती तो जिस तरीके से अपराधियों ने हत्या करने के बाद साक्ष्यों को मिटाने में सफल रहे संभवत: साक्ष्य न मिटा सकने की वजह से अभी तक आरोपी पकड लिये गये होते। लिहाजा हत्या जैसे मामले में घटना के प्रमुख दोषी थाना प्रभारी अंतरैला डीपी सिंह को दोषी तो प्राथमिकतौर पर पुलिस ने माना और निलंबित किया गया परन्तु पुलिस कप्तान की मेहरवानी और उनकी संनिकटता के कारण डीपी सिंह को पुन: शहर का कमाउ वाला थाना चोरहटा में पदस्थ किया जाना सवाल और पुलिस की कारगुजारियों उजागर होती है।
कीर्तिप्रभा न्यूज नेटवर्क
रीवा। प्रकाश द्विवेदी (सीनियर ऑडिटर रक्षा लेखा विभाग सागर) आनन्द नगर बोदाबाग रीवा से अचानक लापता हो गए जिनकी दिनांक 06.06.2017 को गाढ़ा 1&7 थाना जवा के पास टमस नदी में लाश क्षतविक्षत अवस्था में पाई गई जिस पर चाकुओं के वार व सिर पर गंभीर प्रहार के निशान थे। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि यह लाश 0&.06.2017 से ही टमस नदी में बह रही थी जिसकी सूचना लोगो द्वारा डायल 100 को दी गई थी, किन्तु लाश को कस्टडी में लेने के बजाय अतरैला पुलिस उसे बहाने पर जोर देती रही जिसके कारण लाश क्षतविक्षत होती रही पुलिस के भय के कारण लोग अब कुछ भी बोलने से कतरा रहे है प्रत्यक्ष दर्शियों का यह भी कहना है लगातार & दिन तक अज्ञात व्यक्तियों के द्वारा लाश के साथ छेड़ छाड़ की जाती रही अतरैला पुलिस के द्वारा लाश के साथ किये गये गैरजि मेदाराना व्यावहार के कारण थाना प्रभारी अतरैला डी.पी. सिंह पर प्रशासन से कड़ी से कड़ी दण्डात्मक कार्यवाही की मॉग करते हैं।
परिजनों ने कहा मामले में थाना प्रभारी हैं दोषी
जोन्हा गॉव के लोगों ने अतरैला पुलिस को जाकर मौखिक सूचना दी लेकिन अतरैला पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की। डायल 100 द्वारा सूचना मिलने पर भी पुलिस ने लाश को कस्टडी में नहीं लिया और न ही किसी अन्य थाने को सूचना दी। ग्रामीणों का कहना है कि अतरैला पुलिस की उपस्थिति में हरीलाल रैदास, राजकूमार पाण्डेय (ग्राम कर्रौह), संदीप सिंह, बेटू सिंह, गुड्डू सिंह (डोरी भितरी ग्राम) द्वारा कर्रौह घाट से लाश को धक्का देकर बहाया गया। मर्डर की सूचना मिलने पर रीवा मु यालय से अतरैला थाना पहुॅची एफ.एस.एल. टीम को थानेदार द्वारा गुमराह किया गया और यह बताया गया कि नदी में बहाव बहुत तेज था इसलिये लाश बह चुकी है और टीम को वापस भेज दिया गया। जबकि सच यह है कि 4 जून 2017 को लाश सुबह 4 बजे से करौंह घाट में जहॉ पे अवैध रेत व्यापार होता है वही पर रेत के टीले पर लाश दोपहर 12 बजे तक पड़ी रही। बाद में अतरैला पुलिस आई और उसको देखकर धक्का देने का इशारा कर दिया।
अब लगभग 50 दिनों के बीत जाने के बाद भी अब तक गुनहगारों का कोई भी सुराग नहीं लग सका। इस प्रकरण में लाइन अटैच थानेदार को (चोरहटा थाना) देने की अधिक जल्दी थी बजाय अरोपियों के खोज करने के। 6 जून 2017 को घटनास्थल पर एस.पी. रीवा द्वारा डी.पी. सिंह की लापरवाही व अनियमितता के लिए उन्हें लाइन अटैच किया गया। तथा विभागीय जांच के आदेश दिये जो कि केवल आक्रोशित जन को शांत करने के लिए किया गया जो कि सब बाद में खानापूर्ति व ढोंग निकला। लगभग 1 माह के बाद उन्हें दूसरा थाना दे दिया गया। क्या यह सही है? हम परिवारजन केवल इतना जानना चाहते हैं कि उन्होंने शव के साथ इतनी बर्बरता क्यु की? इसके कारण पी.एम. रिपोर्ट भी प्रभावित हुई और साक्ष्य नष्ट की गई।
परिजनों ने साक्ष्य मिटाने का लगाया आरोप
साक्ष्य नष्ट करने वाले व्यक्ति को दूसरा थाना दे दिया गया क्या यह सही है? जबकि अब तक विभागीय जांच पूरी नहीं हुई है। लापरवाही व गलती के लिए सभी के लिए एक ही नियम है चाहे यह गलती एक आम इंसान करें या विभागीय व्यक्ति। थाना प्रभारी द्वारा इस प्रकार की लापरवाही के कारण लाश क्षत विक्षत हो गई और हत्या संबंधी साक्ष्य नष्ट हुए और प्रथम पी.एम. रिपोर्ट प्रभावित हुई साथ ही अतरैला थाना क्षेत्र के रहने वाले ग्रामीण जनता जिसने लाश को बहते हुये और लाश के साथ हुई छेड़-छाड़ को देखा वह थाना प्रभारी के भय की वजह से सही कथन व बयान देने से डरते हैं।
कीर्तिप्रभा न्यूज नेटवर्क
रीवा। प्रकाश द्विवेदी (सीनियर ऑडिटर रक्षा लेखा विभाग सागर) आनन्द नगर बोदाबाग रीवा से अचानक लापता हो गए जिनकी दिनांक 06.06.2017 को गाढ़ा 1&7 थाना जवा के पास टमस नदी में लाश क्षतविक्षत अवस्था में पाई गई जिस पर चाकुओं के वार व सिर पर गंभीर प्रहार के निशान थे। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि यह लाश 0&.06.2017 से ही टमस नदी में बह रही थी जिसकी सूचना लोगो द्वारा डायल 100 को दी गई थी, किन्तु लाश को कस्टडी में लेने के बजाय अतरैला पुलिस उसे बहाने पर जोर देती रही जिसके कारण लाश क्षतविक्षत होती रही पुलिस के भय के कारण लोग अब कुछ भी बोलने से कतरा रहे है प्रत्यक्ष दर्शियों का यह भी कहना है लगातार & दिन तक अज्ञात व्यक्तियों के द्वारा लाश के साथ छेड़ छाड़ की जाती रही अतरैला पुलिस के द्वारा लाश के साथ किये गये गैरजि मेदाराना व्यावहार के कारण थाना प्रभारी अतरैला डी.पी. सिंह पर प्रशासन से कड़ी से कड़ी दण्डात्मक कार्यवाही की मॉग करते हैं।
परिजनों ने कहा मामले में थाना प्रभारी हैं दोषी
जोन्हा गॉव के लोगों ने अतरैला पुलिस को जाकर मौखिक सूचना दी लेकिन अतरैला पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की। डायल 100 द्वारा सूचना मिलने पर भी पुलिस ने लाश को कस्टडी में नहीं लिया और न ही किसी अन्य थाने को सूचना दी। ग्रामीणों का कहना है कि अतरैला पुलिस की उपस्थिति में हरीलाल रैदास, राजकूमार पाण्डेय (ग्राम कर्रौह), संदीप सिंह, बेटू सिंह, गुड्डू सिंह (डोरी भितरी ग्राम) द्वारा कर्रौह घाट से लाश को धक्का देकर बहाया गया। मर्डर की सूचना मिलने पर रीवा मु यालय से अतरैला थाना पहुॅची एफ.एस.एल. टीम को थानेदार द्वारा गुमराह किया गया और यह बताया गया कि नदी में बहाव बहुत तेज था इसलिये लाश बह चुकी है और टीम को वापस भेज दिया गया। जबकि सच यह है कि 4 जून 2017 को लाश सुबह 4 बजे से करौंह घाट में जहॉ पे अवैध रेत व्यापार होता है वही पर रेत के टीले पर लाश दोपहर 12 बजे तक पड़ी रही। बाद में अतरैला पुलिस आई और उसको देखकर धक्का देने का इशारा कर दिया।
अब लगभग 50 दिनों के बीत जाने के बाद भी अब तक गुनहगारों का कोई भी सुराग नहीं लग सका। इस प्रकरण में लाइन अटैच थानेदार को (चोरहटा थाना) देने की अधिक जल्दी थी बजाय अरोपियों के खोज करने के। 6 जून 2017 को घटनास्थल पर एस.पी. रीवा द्वारा डी.पी. सिंह की लापरवाही व अनियमितता के लिए उन्हें लाइन अटैच किया गया। तथा विभागीय जांच के आदेश दिये जो कि केवल आक्रोशित जन को शांत करने के लिए किया गया जो कि सब बाद में खानापूर्ति व ढोंग निकला। लगभग 1 माह के बाद उन्हें दूसरा थाना दे दिया गया। क्या यह सही है? हम परिवारजन केवल इतना जानना चाहते हैं कि उन्होंने शव के साथ इतनी बर्बरता क्यु की? इसके कारण पी.एम. रिपोर्ट भी प्रभावित हुई और साक्ष्य नष्ट की गई।
परिजनों ने साक्ष्य मिटाने का लगाया आरोप
साक्ष्य नष्ट करने वाले व्यक्ति को दूसरा थाना दे दिया गया क्या यह सही है? जबकि अब तक विभागीय जांच पूरी नहीं हुई है। लापरवाही व गलती के लिए सभी के लिए एक ही नियम है चाहे यह गलती एक आम इंसान करें या विभागीय व्यक्ति। थाना प्रभारी द्वारा इस प्रकार की लापरवाही के कारण लाश क्षत विक्षत हो गई और हत्या संबंधी साक्ष्य नष्ट हुए और प्रथम पी.एम. रिपोर्ट प्रभावित हुई साथ ही अतरैला थाना क्षेत्र के रहने वाले ग्रामीण जनता जिसने लाश को बहते हुये और लाश के साथ हुई छेड़-छाड़ को देखा वह थाना प्रभारी के भय की वजह से सही कथन व बयान देने से डरते हैं।
यदि थाना प्रभारी पर उपर्युक्त दण्डात्मक कार्यवाही नहीं होती तो इस प्रकरण में सही बयान व कथन मिल पाना बहुत ही मुश्किल है जिससे मृतक को न्याय मिलपाने की संभावना पूर्णत: समाप्त होती है।उन्होंने कहा कि थाना प्रभारी डी.पी. सिंह पर हत्या संबंधी साक्ष्य को नष्ट करने का आरोप लगाकर मुकदमा चलाया जाए।

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