कीर्तिप्रभा, सीधी। समाज में एक आम धारणा हुआ करती थी कि घर में नगद रखने से गई गुना ज्यादा सुरक्षित पैसे बैंक में रहते है किन्तु वर्तमान परिवेश में लगातार नवीन टेक्राालाजी से लैस चोरों के कार्यप्रणाली के चलते यह आम धारणा झूठी साबित हो रही है। वास्तविकता के धरातल पर नवीन टेक्राालाजी इतना आगे जा चुकी है कि आम उपभोक्ता अपने आप को काफी पीछे महसूस कर रहा है। भारत सरकार व बैंक के अन्य जबाबदेह नित नये सुरक्षा मानकों पर अपने आप को खरा साबित करने का प्रयास करते हैं किन्तु नवीन हैकर्स, व साइबर अपराधी अपने कृत्यों से दो कदम आगे होने की पुष्टि करते रहते हैं। बात फिर एटीएम क्लोन की हो या फिर आनलाइन ठगी की या फिर बैंक के कर्मचारी बन कर बैंक खाता धारकों से गोपनीय जानकारी लेने की हर कदम में जिले की सुरक्षा व्यवस्था एवं साइबर अपराधों की रोकथाम दस्ता अपने को असहाय सा कुछ जगह महसूस करने लगते है। बात अगर धोखा धड़ी की करें तो एक नहीं हजारों प्रकरण जिले में ऐसे मौजूद हैं जहॉ पर बैंक में रखे सुरक्षित पैसों में अपराधियों द्वारा सेंध मारी कर खाते से पूरे पैसे निकाल कर वर्तमान सुरक्षा व्यवस्था को मानों करारा चॉटा मारा गया हो। धोखा धडी शिकार उपभोक्ताओं को सबसे अधिक पीडा तब होती है जब संबधित बैंक प्रबंधक और पुलिस दोनो ही सीधे तौर पर हॉथ खडे कर लेते हैं। हाल ही में ऐसा एक प्रकरण सामने आया जब स्टेट बैंक सिटी बॅ्राच के खाता धारक श्रीमती ज्योती सिंह मूल निवासी बघवारी के निवासी ने पुलिस व बैंक में मदत की दकरार करते हुए अवगत कराया कि मेरा एटीएम कार्ड मेरे पास है, न तो मेरे द्वारा कोई भी ओटीपी या फिर सीव्हीव्ही नम्बर या अन्य गोपनीय जानकारी किसी को प्रदान की गई है फिर भी मेरे खाता क्र० ३२३२५८७०९७५ से दो लाख तिरपन हजार नौ सौ चौवालिस रू० अपराधियों द्वारा निकाल लिये गये हैं। श्रीमती सिंह ने बैंक प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर एक तरफ नियम है कि खाते से अधिकतम चौबिस घंटे में पच्चीस हजार की लीमिट है तो फिर मेरे एटीएम से एक ही दिन में अस्सी हजार रू अपराधियों के द्वारा कैसे निकले गये जबकि आज भी मेरे पास एटीएम कार्ड सुरक्षित रखा हुआ है।
विन्ध्य के सफेद शेरों की धरती मे सच की खवरों के लिए विख्यात दैनिक कीर्ति प्रभा की स्थापना 17 सितम्बर 1998 मे तत्कालीन विधान सभा अध्यक्ष श्री युत श्री निवास तिवारी के मार्ग दर्शन मे उनके निज सचिव रमाशंकर मिश्रा के दवारा की गई। तब से अब तक और आने वाले कल मे हम विन्ध्य के हर चप्पे और गतिविधि पर नजर रखना हमारी जिम्मेदारी मे है।
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