कीर्तिप्रभा, रीवा।
यातायात व्यवस्था को लेकर नित रोज ट्रैफिक आरटीओ व जिला प्रशासन नियम बना रहा है। लेकिन शहर की सडकों पर फर्राटे भरते ऑटो चालक फिल्मी स्टाइल पर बगैर किसी सूचना के जहां-तहां रोककर सवारियों को बैठाना व नियमों का उल्लंघन करना मानो परिपाटी सी चल पडी है। कहने को तो सडक सुरक्षा सप्ताह, सुगम यातायात सप्ताह, दस्तावेज निरीक्षण जैसी मुहिम चलाने का दावा समय-समय पर किया जाता है। लेकिन हकीकत तो यह है कि शहर सहित जिले में कुल पंजीकृत तीन पहिया वाहन 8043 हैं। जिसमें महज 1485 लोगों ने ही परमिट लिया है। जबकि कुल 795 चालकों ने अपना व्यवसायिक लाइसेंस लेने के साथ ही ऑटो का पंजीयन कराया है। सवाल यह उठता है कि जब व्यवायिक वाहन चलाते समय नाबालिगों के हाथ में ऑटो रिक्शा की स्टेयरिंग होने के बाद विभागों द्वारा ऑटो जब्त करने की बजाय चालानी कार्रवाई की जाती है। यही कारण है कि शहर की व्यवस्था के लिए ये ऑटो नासूर से कम नहीं है। इनके द्वारा बीच सडक में अचानक ब्रेक लगाने से दुर्घटनाएं भी होती हैं।
2018 में कुल 243 दुर्घटनाएं
पुराने आंकडों पर नजर दौडाए तो पता चलता है कि ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में ऑटो संचालक क्षमता से अधिक सवारी बैठाकर यात्रा करते हैं। अगर एक जनवरी 2018 से लेकर 31 जनवरी 2018 तक की बात करें तो क्षमता से अधिक सवारी बैठाने पर कुल 243 घटनाएं हो चुकी हैं। जबकि क्षमता के अंदर सवारी बैठाए जाने के बाद कुल 54 घटनाएं हुई हैं। इन घटनाओं में कुल 17 लोगों की मौत होनी बताई गई है। जबकि 2400 से अधिक लोगों के घायल होने की भी जानकारी आंकडे देते हैं। ज्यादा दुर्घटनाएं स्कूली छात्रों को लेकर स्कूल जाते समय हुई हैं या लौटते समय। जिसके पीछे क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाए जाने का ही मामला प्रकाश में आया है।
1600 से अधिक चोरियां
अगर ऑटो रिक्शा में होने वाले अपराध पर नजर दौडाए तो 2018 में कुल 1600 से अधिक चोरियां हुई हैं। जबकि डेढ हजार से अधिक लोगों की जेब काटी गई है। अगर लूट की बात करें तो तकरीबन साढे 300 से अधिक लूट की घटनाओं को अंजाम दिया गया है। इतना ही नहीं अगर आबकारी, एनडीपीएस, आर्म्स एक्ट की बात करें तो अलग-अलग थानों में कुल शराब का अवैध परिवहन करते हुए 57 ऑटो को जब्त किया गया है। गांजे का परिवहन करते हुए कुल 7 ऑटो को जब्त किया गया है। जबकि ऑटो में हथियार लेकर घूमने वाले कुल 15 युवकों के विरूद्घ आर्म्स एक्ट की कार्रवाई की गई है। ये आंकडे रीवा जिले के 30 थाना अंतर्गत दर्ज हुए 2018 के अपराध के हैं।
हवा में उड गई वर्दी
बता दें कि अपराध को रोकने, सुगम यातायात स्थापित करने को लेकर शासन-प्रशासन ने मिलकर ऑटो चालकों को वर्दी पहनाने का निर्देश दिया था। जिस पर चालकों को खाकी वर्दी पहननी थी। साथ ही किराया भी ऑटो यूनियन की मांग पर बढाया गया था। इतना ही नहीं क्षमता से कम सवारी बैठाए जाने व अघोषित पार्किंग स्थल पर वाहन न रोकने की भी पेशकश की गई थी। इसको लेकर शहर के करीब विभिन्न मार्गो में 14 स्टापेज तय किए गए थे। इसके बावजूद नियमों का पालन करना तो दूर चालकों ने वर्दी पहनना ही बंद कर दिया है। ऑटो में अपराध न हो इसके लिए रजिस्ट्रेशन के अलावा उन्हें ट्रैफिक थाने से नम्बर एलाटमेंट किए गए थे। जिसे मुहिम चलाकर ऑटो के पीछे इतनी बडी साइज में लिखा गया था कि उसमें यात्रा करने वाले हितग्राही उसे आसानी न केवल पड ले बल्कि जरूरत पढने पर उनकी शिनाख्त और धर-पकड समय पर की जा सके।
इनका कहना है..
शहर की यातायात व्यवस्था को लेकर स्पष्ट निर्देश हैं। स्थानीय लोगों को किसी भी प्रकार की समस्या न हो साथ ही जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं।
-आबिद खान, एसपी, रीवा
यातायात व्यवस्था को लेकर नित रोज ट्रैफिक आरटीओ व जिला प्रशासन नियम बना रहा है। लेकिन शहर की सडकों पर फर्राटे भरते ऑटो चालक फिल्मी स्टाइल पर बगैर किसी सूचना के जहां-तहां रोककर सवारियों को बैठाना व नियमों का उल्लंघन करना मानो परिपाटी सी चल पडी है। कहने को तो सडक सुरक्षा सप्ताह, सुगम यातायात सप्ताह, दस्तावेज निरीक्षण जैसी मुहिम चलाने का दावा समय-समय पर किया जाता है। लेकिन हकीकत तो यह है कि शहर सहित जिले में कुल पंजीकृत तीन पहिया वाहन 8043 हैं। जिसमें महज 1485 लोगों ने ही परमिट लिया है। जबकि कुल 795 चालकों ने अपना व्यवसायिक लाइसेंस लेने के साथ ही ऑटो का पंजीयन कराया है। सवाल यह उठता है कि जब व्यवायिक वाहन चलाते समय नाबालिगों के हाथ में ऑटो रिक्शा की स्टेयरिंग होने के बाद विभागों द्वारा ऑटो जब्त करने की बजाय चालानी कार्रवाई की जाती है। यही कारण है कि शहर की व्यवस्था के लिए ये ऑटो नासूर से कम नहीं है। इनके द्वारा बीच सडक में अचानक ब्रेक लगाने से दुर्घटनाएं भी होती हैं।
2018 में कुल 243 दुर्घटनाएं
पुराने आंकडों पर नजर दौडाए तो पता चलता है कि ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में ऑटो संचालक क्षमता से अधिक सवारी बैठाकर यात्रा करते हैं। अगर एक जनवरी 2018 से लेकर 31 जनवरी 2018 तक की बात करें तो क्षमता से अधिक सवारी बैठाने पर कुल 243 घटनाएं हो चुकी हैं। जबकि क्षमता के अंदर सवारी बैठाए जाने के बाद कुल 54 घटनाएं हुई हैं। इन घटनाओं में कुल 17 लोगों की मौत होनी बताई गई है। जबकि 2400 से अधिक लोगों के घायल होने की भी जानकारी आंकडे देते हैं। ज्यादा दुर्घटनाएं स्कूली छात्रों को लेकर स्कूल जाते समय हुई हैं या लौटते समय। जिसके पीछे क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाए जाने का ही मामला प्रकाश में आया है।
1600 से अधिक चोरियां
अगर ऑटो रिक्शा में होने वाले अपराध पर नजर दौडाए तो 2018 में कुल 1600 से अधिक चोरियां हुई हैं। जबकि डेढ हजार से अधिक लोगों की जेब काटी गई है। अगर लूट की बात करें तो तकरीबन साढे 300 से अधिक लूट की घटनाओं को अंजाम दिया गया है। इतना ही नहीं अगर आबकारी, एनडीपीएस, आर्म्स एक्ट की बात करें तो अलग-अलग थानों में कुल शराब का अवैध परिवहन करते हुए 57 ऑटो को जब्त किया गया है। गांजे का परिवहन करते हुए कुल 7 ऑटो को जब्त किया गया है। जबकि ऑटो में हथियार लेकर घूमने वाले कुल 15 युवकों के विरूद्घ आर्म्स एक्ट की कार्रवाई की गई है। ये आंकडे रीवा जिले के 30 थाना अंतर्गत दर्ज हुए 2018 के अपराध के हैं।
हवा में उड गई वर्दी
बता दें कि अपराध को रोकने, सुगम यातायात स्थापित करने को लेकर शासन-प्रशासन ने मिलकर ऑटो चालकों को वर्दी पहनाने का निर्देश दिया था। जिस पर चालकों को खाकी वर्दी पहननी थी। साथ ही किराया भी ऑटो यूनियन की मांग पर बढाया गया था। इतना ही नहीं क्षमता से कम सवारी बैठाए जाने व अघोषित पार्किंग स्थल पर वाहन न रोकने की भी पेशकश की गई थी। इसको लेकर शहर के करीब विभिन्न मार्गो में 14 स्टापेज तय किए गए थे। इसके बावजूद नियमों का पालन करना तो दूर चालकों ने वर्दी पहनना ही बंद कर दिया है। ऑटो में अपराध न हो इसके लिए रजिस्ट्रेशन के अलावा उन्हें ट्रैफिक थाने से नम्बर एलाटमेंट किए गए थे। जिसे मुहिम चलाकर ऑटो के पीछे इतनी बडी साइज में लिखा गया था कि उसमें यात्रा करने वाले हितग्राही उसे आसानी न केवल पड ले बल्कि जरूरत पढने पर उनकी शिनाख्त और धर-पकड समय पर की जा सके।
इनका कहना है..
शहर की यातायात व्यवस्था को लेकर स्पष्ट निर्देश हैं। स्थानीय लोगों को किसी भी प्रकार की समस्या न हो साथ ही जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं।
-आबिद खान, एसपी, रीवा
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