मैहर। प्रत्येक माह के द्वितीय रविवार को होने वाली मां षारदा साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था की कविगोष्ठी डा.प्रभुदयाल आचार्य के मुख्य आतिथ्य में व वरिष्ठ गीतकार रामनरेष तिवारी की अध्यक्षता में आयोजित की गई। अतिथियों कवियों श्रोताओं का स्वागत संस्था के संस्थापक संयोजक राष्ट्रीय कवि आचार्य पं.रामाधार अनंत ने किया। मां सरस्वती के पूजन अर्चण से षुभारंभ हुआ। वाणी वंदना डा.प्रभुदयाल ने की जो सराही गयी। मां सरस्वती हमें स्नेह दो दुलार दो,भक्तिभाव की छठा चित्त में उतार दो। युवा कवि रामेष्वर तिवारी लहरी ने तब और अब में अतंर षीर्षक की रचना सुनायी और तालियां बटोरी। तब मानव पूजा जाता था अब दानव पूजा जाता है। सफल संचालन करते हुये आचार्य अनंत ने कई नये मुक्तक सुनाकर कार्यक्रम ऊंचाइयों की ओर मोड़ा। देखिये न पीछे मुड़कर, संभलकर आंगे बढ़ते जायें। ईर्षा हिंसा नषा,झूंठ भ्रष्टाचार छोड़ें अब अनंत। गहै राम व राष्ट्रभक्ति,हल हो सबकी सभी समस्यायें। डा.प्रभुदयाल ने श्रगार पढ़ प्रषंसा अर्जित की। बसंती बौर हो गये,बौर ठौर-ठौर हो गये, षर्मीले झील से नयन कविता के छंद हो गये। अध्यक्षीय उद्बोधन पष्चात रामनरेष तिवारी ने रचना पढ़ कार्यक्रम ऊंचाइयों तक पहुंचाया। इसको जाना उसको जाना सारे जग को जाना है,बंधे हांथ आये दुनियां में,खुले हांथ जाना है। अंत में अनंत ने अतिथियों,कवियों व श्रोताओं के लिये आभार ब्यक्त किया गया।
विन्ध्य के सफेद शेरों की धरती मे सच की खवरों के लिए विख्यात दैनिक कीर्ति प्रभा की स्थापना 17 सितम्बर 1998 मे तत्कालीन विधान सभा अध्यक्ष श्री युत श्री निवास तिवारी के मार्ग दर्शन मे उनके निज सचिव रमाशंकर मिश्रा के दवारा की गई। तब से अब तक और आने वाले कल मे हम विन्ध्य के हर चप्पे और गतिविधि पर नजर रखना हमारी जिम्मेदारी मे है।
बुधवार, 16 जनवरी 2019
ईर्शा हिंसा नशा झूंठ व भ्रष्टाचार छोड़ें अब अनंत
मैहर। प्रत्येक माह के द्वितीय रविवार को होने वाली मां षारदा साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था की कविगोष्ठी डा.प्रभुदयाल आचार्य के मुख्य आतिथ्य में व वरिष्ठ गीतकार रामनरेष तिवारी की अध्यक्षता में आयोजित की गई। अतिथियों कवियों श्रोताओं का स्वागत संस्था के संस्थापक संयोजक राष्ट्रीय कवि आचार्य पं.रामाधार अनंत ने किया। मां सरस्वती के पूजन अर्चण से षुभारंभ हुआ। वाणी वंदना डा.प्रभुदयाल ने की जो सराही गयी। मां सरस्वती हमें स्नेह दो दुलार दो,भक्तिभाव की छठा चित्त में उतार दो। युवा कवि रामेष्वर तिवारी लहरी ने तब और अब में अतंर षीर्षक की रचना सुनायी और तालियां बटोरी। तब मानव पूजा जाता था अब दानव पूजा जाता है। सफल संचालन करते हुये आचार्य अनंत ने कई नये मुक्तक सुनाकर कार्यक्रम ऊंचाइयों की ओर मोड़ा। देखिये न पीछे मुड़कर, संभलकर आंगे बढ़ते जायें। ईर्षा हिंसा नषा,झूंठ भ्रष्टाचार छोड़ें अब अनंत। गहै राम व राष्ट्रभक्ति,हल हो सबकी सभी समस्यायें। डा.प्रभुदयाल ने श्रगार पढ़ प्रषंसा अर्जित की। बसंती बौर हो गये,बौर ठौर-ठौर हो गये, षर्मीले झील से नयन कविता के छंद हो गये। अध्यक्षीय उद्बोधन पष्चात रामनरेष तिवारी ने रचना पढ़ कार्यक्रम ऊंचाइयों तक पहुंचाया। इसको जाना उसको जाना सारे जग को जाना है,बंधे हांथ आये दुनियां में,खुले हांथ जाना है। अंत में अनंत ने अतिथियों,कवियों व श्रोताओं के लिये आभार ब्यक्त किया गया।
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