14 फ़रवरी की ह्रदय विदारक घटना के बाद से ही फेसबुक, व्हाट्सप्प आदि सोशल मीडिया में लोगों की जोशपूर्ण बातें, गुस्सा, बदला लेने की भावना, युद्ध आदि से ओतप्रोत बातें वायरल हो रही हैं... कुछ लोगो ने तो अपनी प्रोफाइल पिक्चर ही बना ली है - "I STAND FOR REVENGE'' और इतना तो अवश्य है के ये वही लोग के जो ना जीवन में कुछ कर पाए है ना ही देश की पुकार पर ये किसी प्रकार से देश के लिए STAND लेने आगे आएंगे.... साथ ही ऐसे भी msgs की कमी नहीं है जिसमें शहीदों की पिक्चर्स पर लाइक, comment, या शेयर न करने वाले को देशद्रोही माना जाएगा ... ये सब देख के मन में कुछ विचार आए हैं जिन्हें लिखने से खुद को रोक नहीं पाई ...
पाकिस्तानियों को हमारे यहां इतनी बड़ी त्रासदी को अंजाम देने के लिए किसी देशद्रोही किसी जासूस की जरूरत पड़ी होगी.. उसने चुप चाप इस घटना को अंजाम दिया... लेकिन अब हम क्या कर रहे हैं?? हम अपने ही देश की महत्वपूर्ण जानकारिया सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैँ.. और खुली चुनौती दें रहे हैं के एक बार फिर आतंकी हमारे देश की छाती को छलनी कर के चले जाएं और हम बस यूँ ही सोशल मीडिया पर REVENGE .. REVENGE... चिल्लाते रहें... क्या हम ऐसा कर के देशद्रोही का काम नहीं कर रहें हैं?
आज क्यों सरकारें सस्ती लोकप्रियता के लिए इतने महत्वपूर्ण निर्णयों को सारे आम कर रही हैं??
ऐसा प्रतीत होता है मानो शहीदों की शहादत को भी पार्टियां अपने चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल करने से बाज़ नहीं आ रही हैं... यदि सचमुच ही उन दहशतगर्दों को कोई ठोस सबक सीखना है तो जैसे चुपचाप 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी वैसे ही शांति से इसबार भी अपनी कार्ययोजना बनानी chahiye... kya आवश्यकता है इन नेताओं को के अपने हर निर्णय को सरे आम करें... ताकि वो दहशतगर्द आगाह हो जाएं और हमारी सेना के जवान अपने मंसूबो में कामयाब ना हो सकें?? मेरा इन सस्ती लोक्रप्रियता के भूखे नेताओं से यही कहना है के जो भी करना है चुप चाप करो तभी सही मायनो में ये बदला पूरा हो सकेगा... और एक और निवेदन है के URI जैसी फ़िल्में बना के लोकप्रियता ना हासिल करें.. क्योंकि इससे हम अपनी ही strategies को सरे आम कर के आतंकियों को हम पर हमला करने की और बेहतर योजना बनाने का मौका और प्रेरणा दोनों देते हैं...
जिन शहीदों ने अपनी जानें गवाई हैं उन्हें वापस ज़िंदा तो नहीं किया जा सकता है और ना ही उनके परिजनों के दुःख को कम किया जा सकता है.. लेकिन हम यदि सीमा पर जा के बंदूक नहीं उठा सकते हैं तो कम से कम हम सीमा पर लड़ रहे उन वीरों को तो ये आश्वासन दिला सकते हैं की भाइयों आप सीमा पर निश्चिन्त होकर लड़ो.. लड़ते हुए अगर तुम शहीद भी हो गए तो तुम्हारे परिवार का ख्याल हम रखेंगे...
हर भारतीय का आज ये प्रथम कर्तव्य है कि इन दहशतर्दों को सबक सिखाने का ये जो जूनून है उसे ज्वाला की तरह अपने दिलमें जलाए रखना है न कि सोशल मीडिया में कुछ पोस्ट्स डाल के इस ज्वाला को ठंडा कर देना है.. और अपनी क्षमताओं के अनुसार सेना को आर्थिक, मानसिक एवं भावनात्मक सहयोग पहुंचाने की कोशिश करें.... और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि अपनी सेना से जुड़े या देश कि सुरक्षा से जुड़े किसी भी तथ्य को वायरल नहीं करें....
यदि किसी कि भावनाओं को कोई ठेस पहुंची हो तो क्षमा.... 🙏🏻🙏🏻 किन्तु एक बार गंभीरता से इस दिशा में भी सोचें.... जय हिन्द.... जय भारत... 🙏🙏
पाकिस्तानियों को हमारे यहां इतनी बड़ी त्रासदी को अंजाम देने के लिए किसी देशद्रोही किसी जासूस की जरूरत पड़ी होगी.. उसने चुप चाप इस घटना को अंजाम दिया... लेकिन अब हम क्या कर रहे हैं?? हम अपने ही देश की महत्वपूर्ण जानकारिया सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैँ.. और खुली चुनौती दें रहे हैं के एक बार फिर आतंकी हमारे देश की छाती को छलनी कर के चले जाएं और हम बस यूँ ही सोशल मीडिया पर REVENGE .. REVENGE... चिल्लाते रहें... क्या हम ऐसा कर के देशद्रोही का काम नहीं कर रहें हैं?
आज क्यों सरकारें सस्ती लोकप्रियता के लिए इतने महत्वपूर्ण निर्णयों को सारे आम कर रही हैं??
ऐसा प्रतीत होता है मानो शहीदों की शहादत को भी पार्टियां अपने चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल करने से बाज़ नहीं आ रही हैं... यदि सचमुच ही उन दहशतगर्दों को कोई ठोस सबक सीखना है तो जैसे चुपचाप 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी वैसे ही शांति से इसबार भी अपनी कार्ययोजना बनानी chahiye... kya आवश्यकता है इन नेताओं को के अपने हर निर्णय को सरे आम करें... ताकि वो दहशतगर्द आगाह हो जाएं और हमारी सेना के जवान अपने मंसूबो में कामयाब ना हो सकें?? मेरा इन सस्ती लोक्रप्रियता के भूखे नेताओं से यही कहना है के जो भी करना है चुप चाप करो तभी सही मायनो में ये बदला पूरा हो सकेगा... और एक और निवेदन है के URI जैसी फ़िल्में बना के लोकप्रियता ना हासिल करें.. क्योंकि इससे हम अपनी ही strategies को सरे आम कर के आतंकियों को हम पर हमला करने की और बेहतर योजना बनाने का मौका और प्रेरणा दोनों देते हैं...
जिन शहीदों ने अपनी जानें गवाई हैं उन्हें वापस ज़िंदा तो नहीं किया जा सकता है और ना ही उनके परिजनों के दुःख को कम किया जा सकता है.. लेकिन हम यदि सीमा पर जा के बंदूक नहीं उठा सकते हैं तो कम से कम हम सीमा पर लड़ रहे उन वीरों को तो ये आश्वासन दिला सकते हैं की भाइयों आप सीमा पर निश्चिन्त होकर लड़ो.. लड़ते हुए अगर तुम शहीद भी हो गए तो तुम्हारे परिवार का ख्याल हम रखेंगे...
हर भारतीय का आज ये प्रथम कर्तव्य है कि इन दहशतर्दों को सबक सिखाने का ये जो जूनून है उसे ज्वाला की तरह अपने दिलमें जलाए रखना है न कि सोशल मीडिया में कुछ पोस्ट्स डाल के इस ज्वाला को ठंडा कर देना है.. और अपनी क्षमताओं के अनुसार सेना को आर्थिक, मानसिक एवं भावनात्मक सहयोग पहुंचाने की कोशिश करें.... और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि अपनी सेना से जुड़े या देश कि सुरक्षा से जुड़े किसी भी तथ्य को वायरल नहीं करें....
यदि किसी कि भावनाओं को कोई ठेस पहुंची हो तो क्षमा.... 🙏🏻🙏🏻 किन्तु एक बार गंभीरता से इस दिशा में भी सोचें.... जय हिन्द.... जय भारत... 🙏🙏
14 फ़रवरी की ह्रदय विदारक घटना में किसी दे
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