मंगलवार, 19 मार्च 2019

विंध्य की राजनीतिक सियाशत को यह भी गवारा नहीं....?

विंध्य की माटी की महक मध्यप्रदेश ही नहीं विश्व स्तर पर स्थापित
जिले में जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी की सरकार के जाने के बाद कांग्रेस की नई सरकार ने कमलनाथ के नेतृत्व में कमान संभाल ली है तो वहीं दूसरी तरफ कमलनाथ की नेतृत्व वाली सरकार ने अपनी खुद की प्रशासनिक कसावट और सर्जरी करने के उद्देश्य से कर्मचारियों अधिकारियों को भी इधर से उधर, ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर करते-करते लोकसभा चुनाव में एक बार पुन: चुनावी वैतरणी का हिसाब किताब करने पर जुट गई है इसके अलावा भी रीवा जिले में कई प्रकार की राजनीतिक व सामाजिक अपराधिक व जातिवादी गतिविधियां सावब पर है। इस बात से नकारा नहीं जा सकता। लोकसभा चुनाव में चाहे कांग्र्रेस हो या भाजपा या फिर बहुजन समाज पार्टी या सपा तथा अन्य राजनीतिक दालों के नेता अपनी-अपनी राग अलाप रहे हैं और हर चुनावी समय में उतरने वाले चाहे राजनीतिक दल हों या समाजिक संगठन लोकसभा में जीतने की बाजीगरी का मंत्र पढ रहे हैं।
कीर्तिप्रभा, रीवा।
बहरहाल विंध्य की राजनीति में रीवा की सियासत पूरे प्रदेश में ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर इतिहास लिखती रही है। इस लोकसभा सीट से महाराजा मार्तण्ड सिंह जैसे लोकप्रिय राजा को हराकर यमुना प्रसाद शास्त्री जैसे कर्मयोगी नें संसद सदस्य के रूप में दिल्ली दरबार में जाकर अपनी योग्यता और कर्मणी का चेहरा विश्व स्तर पर स्थापित किया था। वहीं मप्र ही नहीं संभवता पूरे विश्व में यदि जनसंख्या के हिसाब से मतदाताओं के आकड़े को देखा जाए तो रीवा में सर्वोपरि जनसंख्या ब्राह्मणों की होते हुए भी जिस राजनीतिक दल बहुजन समाज पार्टी द्वारा तिलक तराजु और तलवार का नारा देकर पार्टी स्थापित की थी। उसी रीवा जिले में सर्वोपरि ब्राह्मणों के बावजूद भी ब्राह्मणों के सबसे बड़े अगुवा स्व श्रीनिवास तिवारी को हराकर भीमसिंह जैसे साधारण व्यक्ति ने संसद में पहुंचकर रीवा की जनभावनाओं को सामने लाया था। यह भी इस रीवा की माटी के लिए बड़ा इतिहास से कम नहीं है। रीवा जहां एक तरफ सफेद शेरों की धरती, विंध्य हिमाचल गंगा यमुना का स्वरूप भगवान राम की तपस्थली के साथ-साथ मां शारदे, व मां विंध्य वासनी के साथ-साथ महान विभूतियों में अलाउद्दीन खान व बीरबल जैसे होनहार महातपस्वयों को पाला जिनका भी मप्र ही नहीं पूरे विश्व में अपना अलग नाम है। 
गौरतलब है कि विंध्य की दो महान विभूति और एक दूसरे को ऊपर नीचे करने का सतत जीवन पथ में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और स्व. विधानसभा अध्यक्ष श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी का इतिहास जन-जन को पता है। विंध्य की विधानसभा से लेकर मप्र की विधानसभा में इन दो महान राजनीतिक योद्धाओं की जब चर्चाएं उनके जानकार करते हैं तो रोंगटे खडा होना स्वभवता हो जाता है। जमुना जोशी श्रीनिवास और हमारा विंध्य वापस दो के नारे लहरा तो जरूर रहे हैं पर इन नारों को बुलंदी कौन देगा, शायद न तो विंध्य रियासत के समाजसेवियों को पता है और न ही यहां का किसान मजदूर और युवा देख सकने में अपने आप को असहाय महसूस कर रहा है। 

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