जि़न्दगी वादे फना तुझको मिलेगी हसरत तेरा जीना तेरे मरने की बदौलत होगा -अशफाक उल्ला खॉ
रीवा। अशफाक उल्ला तालीमी सोसायटी बिछिया रीवा द्वारा अमर शहीद अशफाक उल्ला खॉ का शहीदी दिवस आज मदरसा नूरूल उलूम बिछिया में मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उम्मत-ए-मोहम्मदिया कमेटी के जिला संयोजक मो0 साबिर खान अशरफी रहें, जबकि अध्यक्षता उम्मत-ए-मोहम्मदिया कमेटी के अध्यक्ष मो0 शुऐब खान ने की, वही विशिष्ट अतिथि के रूप में सोसायटी अध्यक्ष इसरार अहमद खान एवं समाज सेवी अजहरूद्दीन अज्जू उपस्थित रहे। अशफाक उल्ला तालीमी सोसायटी बिछिया रीवा के सचिव वाजिद खान एवं प्राचार्य अयाज खान ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में बताया है कि अमर शहीद अशफाक उल्ला खॉ का शहीदी दिवस आज बिछिया स्थित मदरसा नूरूल उलूम में मनाया गया। इस कार्यक्रम में बिछिया स्थित मदरसा फलक, मदरसा अतीकिया तालीमी, मदरसा नूरूल उलूम के छात्र-छात्राओं द्वारा शहीद अशफाक उल्ला के हक में दुआऐं की और उनके जीवन पर रोशनी डाली। वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मो0 शुऐब खान ने कहा कि वो अपने देश के आन, बान , शान के लिये मर मिटने के लिये हमेशा तत्पर रहे, उन्हे भारत के प्रसिद्ध अमर शहीद क्रान्तिकारियों मे सुमार किया जाता है। देश की आजादी के लिये उन्होने ने हसते-हसते अपने प्राण न्योछावर कर दिये। समाज सेवी अजरूद्दीन अज्जू ने सम्बोधित करते हुये कहा कि अशफाक उल्ला खान हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रबल पक्षधर थे, जिन्होने काकोरी काण्ड में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। आज हमे भी अशफाक उल्ला की कही हुई बातों पर अमल करने की जरूरत है। सोसायटी अध्यक्ष इसरार अहमद खान ने कहा कि महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अमर शहीद अशफाक उल्ला खॉ भारत वर्ष के एक सच्चे सपूत देश प्रेमी व्यक्ति थे, वो काकोरी काण्ड में पकड़े जाने के बाद कारागार में रहते हुये आने वाली नस्लों के लिये देश प्रेम से ओत प्रोत नगमें गुनगुनाते रहते थे, और जेल की दीवारों में लिखते रहते थे। उनकी जि़न्दगी का आखिरी शेर फांसी पे चढ़ते वक्त उन्होने ने जो पढ़ा था ''जि़न्दगी वादे फना तुझको मिलेगी हसरत, तेरा जीना तेरे मरने की बदौलत होगाÓÓ ये देश प्रेम की अमर मिशाल है। वहीं मुख्य अतिथि साबिर खान अशरफी ने कहा कि अमर शहीद अशफाक उल्ला खॉ फांसी वाले दिन 19 दिसम्बर 1927 को हमेशा की तरह सुबह उठे सारी क्रियाओं से फुरसत होने के बाद कुरआन की आयतों को दोहराया और किताब बन्द कर के उसे आंखों से चूमा, फिर अपने आप जाकर फांसी के तख्ते पर खड़े हो गये और कहा ''मेरे ये हांथ इंसानी खून से नहीं रंगे, खुदा के यहां मेरा इंशाफ होगाÓÓ फिर अपने आप ही फंदा गले में डाल लिया, और हमेशा हमेश के लिये इस दुनिया से रूखसत हो गये।
कार्यक्रम का सफल संचालन वाइज खान अशरफी ने किया, एवं आभार व्यक्त राशिद खान ने किया। इस अवसर पर जान मोहम्मद खान, माजिद खान, अजहरूद्दीन अज्जू, वाजिद खान, मुकेश कुमार कुशवाहा, तारिक खान, कायनात खान, सबनम बेगम, शहीद अशरफी, साजिया बेगम, निशा खान, पीर खान, आजाद खॉ, शौकत उल्ला खान, वहाबुद्दीन खान, राशिद खान, इसरार अहमद, मो0 शुऐब खान, साबिर खान, इकबाल अहमद आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
रीवा। अशफाक उल्ला तालीमी सोसायटी बिछिया रीवा द्वारा अमर शहीद अशफाक उल्ला खॉ का शहीदी दिवस आज मदरसा नूरूल उलूम बिछिया में मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उम्मत-ए-मोहम्मदिया कमेटी के जिला संयोजक मो0 साबिर खान अशरफी रहें, जबकि अध्यक्षता उम्मत-ए-मोहम्मदिया कमेटी के अध्यक्ष मो0 शुऐब खान ने की, वही विशिष्ट अतिथि के रूप में सोसायटी अध्यक्ष इसरार अहमद खान एवं समाज सेवी अजहरूद्दीन अज्जू उपस्थित रहे। अशफाक उल्ला तालीमी सोसायटी बिछिया रीवा के सचिव वाजिद खान एवं प्राचार्य अयाज खान ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में बताया है कि अमर शहीद अशफाक उल्ला खॉ का शहीदी दिवस आज बिछिया स्थित मदरसा नूरूल उलूम में मनाया गया। इस कार्यक्रम में बिछिया स्थित मदरसा फलक, मदरसा अतीकिया तालीमी, मदरसा नूरूल उलूम के छात्र-छात्राओं द्वारा शहीद अशफाक उल्ला के हक में दुआऐं की और उनके जीवन पर रोशनी डाली। वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मो0 शुऐब खान ने कहा कि वो अपने देश के आन, बान , शान के लिये मर मिटने के लिये हमेशा तत्पर रहे, उन्हे भारत के प्रसिद्ध अमर शहीद क्रान्तिकारियों मे सुमार किया जाता है। देश की आजादी के लिये उन्होने ने हसते-हसते अपने प्राण न्योछावर कर दिये। समाज सेवी अजरूद्दीन अज्जू ने सम्बोधित करते हुये कहा कि अशफाक उल्ला खान हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रबल पक्षधर थे, जिन्होने काकोरी काण्ड में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। आज हमे भी अशफाक उल्ला की कही हुई बातों पर अमल करने की जरूरत है। सोसायटी अध्यक्ष इसरार अहमद खान ने कहा कि महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अमर शहीद अशफाक उल्ला खॉ भारत वर्ष के एक सच्चे सपूत देश प्रेमी व्यक्ति थे, वो काकोरी काण्ड में पकड़े जाने के बाद कारागार में रहते हुये आने वाली नस्लों के लिये देश प्रेम से ओत प्रोत नगमें गुनगुनाते रहते थे, और जेल की दीवारों में लिखते रहते थे। उनकी जि़न्दगी का आखिरी शेर फांसी पे चढ़ते वक्त उन्होने ने जो पढ़ा था ''जि़न्दगी वादे फना तुझको मिलेगी हसरत, तेरा जीना तेरे मरने की बदौलत होगाÓÓ ये देश प्रेम की अमर मिशाल है। वहीं मुख्य अतिथि साबिर खान अशरफी ने कहा कि अमर शहीद अशफाक उल्ला खॉ फांसी वाले दिन 19 दिसम्बर 1927 को हमेशा की तरह सुबह उठे सारी क्रियाओं से फुरसत होने के बाद कुरआन की आयतों को दोहराया और किताब बन्द कर के उसे आंखों से चूमा, फिर अपने आप जाकर फांसी के तख्ते पर खड़े हो गये और कहा ''मेरे ये हांथ इंसानी खून से नहीं रंगे, खुदा के यहां मेरा इंशाफ होगाÓÓ फिर अपने आप ही फंदा गले में डाल लिया, और हमेशा हमेश के लिये इस दुनिया से रूखसत हो गये।
कार्यक्रम का सफल संचालन वाइज खान अशरफी ने किया, एवं आभार व्यक्त राशिद खान ने किया। इस अवसर पर जान मोहम्मद खान, माजिद खान, अजहरूद्दीन अज्जू, वाजिद खान, मुकेश कुमार कुशवाहा, तारिक खान, कायनात खान, सबनम बेगम, शहीद अशरफी, साजिया बेगम, निशा खान, पीर खान, आजाद खॉ, शौकत उल्ला खान, वहाबुद्दीन खान, राशिद खान, इसरार अहमद, मो0 शुऐब खान, साबिर खान, इकबाल अहमद आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
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