बुधवार, 19 दिसंबर 2018

श्यामशाह मेडिकल कॉलेज में शुरू हुए आर्थोपेडिक्स एवं एनेस्थीसिया के पीजी कोर्स

श्यामशाह मेडिकल कॉलेज में आर्थोपेडिक्स और एनेस्थीसिया की उच्च पढ़ाई कर चुके 9 डॉक्टर तथा पढ़ाई कर रहे 14 डॉक्टर डिग्री को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि जो डिग्री मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा दी जा रही है यह डिग्री मान्य नहीं हो रही है।
 रीवा। श्यामशाह मेडिकल कॉलेज में आर्थोपेडिक्स और एनेस्थीसिया की उच्च पढ़ाई कर चुके 9 डॉक्टर तथा पढ़ाई कर रहे 14 डॉक्टर डिग्री को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि जो डिग्री मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा दी जा रही है यह डिग्री मान्य नहीं हो रही है। जिससे उनका भविष्य अंधकार में है। डॉक्टरों ने बताया कि वर्ष 2013 में मेडिकल कॉलेज में आर्थोपेडिक्स में पीजी के लिए एक सीट और एनेस्थीसिया के लिए दो सीट पर पढ़ाई शुरू हुई थी। बाद में उसे बढ़ाकर एनेस्थीसिया में 5 सीट कर दी गई। तीन वर्ष की पढ़ाई में 2013 से 2018 के बीच 9 डॉक्टर पीजी की पढ़ाई पूरी करने के बाद कॉलेज से डिग्री भी प्राप्त कर लिए हैं। जबकि 14 डॉक्टर अभी पढ़ाई कर रहे हैं। पढ़ाई पूरी कर चुके डॉक्टर अपनी डिग्री को लेकर चिंतित हैं और उन्होंने बताया कि जो डिग्री कॉलेज द्वारा उन्हें दी गई है वह दूसरी जगह मान्य नहीं की जा रही है। ऐसे में तीन वर्ष तक पढ़ाई करने के साथ ही 80 हजार रुपए प्रति वर्ष खर्च करके तीन वर्ष में लगभग ढाई लाख रुपए उन्होंने पढ़ाई में खर्च कर डाले और अब बड़े कॉलेजों में और पढ़ाई के लिए उनकी डिग्री को मान्य नहीं किया जा रहा है। इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को वे दोषी ठहरा रहे हैं।
एमसीआई नहीं दी मान्यता
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने श्यामशाह मेडिकल कॉलेज में शुरू हुए आर्थोपेडिक्स एवं एनेस्थीसिया के पीजी कोर्स को लेकर 2016 में निरीक्षण किया था। जिसमें उन्होंने पढ़ाई को लेकर कॉलेज में कमियां पाई थी और कमियों को दूर करने के लिए एक वर्ष का समय दिया गया था। बताया जा रहा है कि 2017 में दूसरी बार एमसीआई ने निरीक्षण किया था। लेकिन मेडिकल कॉलेज एमसीआई द्वारा दी गई कमियों को दूर नहीं कर पाया। जिसके चलते पीजी की डिग्री को दूसरे राज्य के कॉलेजों में मान्य नहीं किया जा रहा है।
ऐसे आया मामला सामने
आर्थोपेडिक्स से पीजी की पढ़ाई पूरी करने वाले डॉक्टर कुमार रोहित ने से चर्चा करते हुए बताया कि उन्होंने नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन में सुपर स्पेशलिटी से संबंधित कोर्स की पढ़ाई करने के लिए आवेदन किया था और इस पढ़ाई के लिए श्यामशाह मेडिकल कॉलेज से दी गई पीजी डिग्री को उन्होंने शामिल किया था। लेकिन नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन ने उनकी डिग्री को अमान्य बताते हुए आवेदन पत्र निरस्त कर दिया है। उन्होंने बताया कि कई ऐसे डॉक्टर है जिनमें डॉण् पूजाए डॉण् रविशंकर शर्माए डॉण् प्रतीक सहित अन्य डॉक्टर डिग्री तो लिए हैंए लेकिन इस डिग्री को लेकर चिंतित हैं।
एमसीआई से नहीं है रिग्नाईजेशन
डिग्री को लेकर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि छात्रों को एडमिशन के समय यह जानकारी स्पष्ट तौर पर दी जाती है कि श्यामशाह मेडिकल कॉलेज के पास परमीटेड डिग्री की मान्यता है। यह डिग्री छात्रों की अमान्य नहीं है। बल्कि एमसीआई द्वारा रिग्नाईजेशन किए जाने के बाद जो भी मेडिकल छात्रों ने आर्थोपेडिक्स और एनेस्थीसिया आदि की पीजी की पढ़ाई की है वह डिग्री देश के सभी राज्यों में मान्य होगी। चूंकि एमसीआई ने कुछ कमियों को चिंहित किया है और यह कमियां पूरी होते ही रिग्नाईजेशन होने पर पढ़ाई पूरी कर चुके मेडिकल छात्रों की डिग्री को भी रिग्नाईजेशन मिल जाएगा तथा उनकी यह डिग्री सभी जगह मान्य होगी। बहरहाल पढ़ाई पूरी कर चुके छात्रों को अभी दूसरे राज्यों में आवेदन करने के लिए इस डिग्री में इंतजार करना ही पड़ेगा।
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9 डॉक्टर्स पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। जबकि 14 अभी पढ़ाई कर रहे हैं। श्यामशाह मेडिकल कॉलेज ने जो डिग्री हमें दी है यह मान्य नहीं है और हम लोगों ने आगे की पढ़ाई के लिए आवेदन किए थे। इस डिग्री को अमान्य कर दिया गया है जिससे हमारा भविष्य अंधकार में है। इसकी शिकायत हमने मेडिकल कॉलेज डीनए डीएमई व संभागायुक्त के यहां की है।
.डॉण् कुमार रोहितए छात्र
छात्रों को जो डिग्री दी गई है वह अमान्य नहीं है। इन्हें परमीटेड डिग्री दी जा रही है। एमसीआई से रिग्नाईजेशन होने के बाद सभी जगह छात्रों की डिग्री मान्य होगी।
डॉ एपीएस गहरवार प्रभारी डीन एसएसएस कॉलेज
इस संबंध में हमें अभी जानकारी नहीं है। अगर इस तरह की कोई शिकायत प्राप्त होती है तो हम कॉलेज से इस संबंध में जानकारी लेंगे।
महेशचन्द्र चौधरी, कमिश्नर

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