गुरुवार, 3 जनवरी 2019

नए वर्ष में हम राष्ट्रहित में नए आयाम गढऩे का संकल्प ले- मणिमाला सिंह)

स्व. महेश बाबू स्मृति समिति ने नववर्ष पर किया काव्य संगोष्ठी का आयोजन
रीवा। नए साल मनाने का ढंग कैसा होना चाहिए यह एक विचारणीय प्रश्न है। जहां एक ओर ना सिर्फ समूचा शहर, प्रदेश और देश वरन पूरा विश्व लाखों करोड़ो सिर्फ मदिरा सेवन में व्यतीत कर नया साल मना रहा है, वही दूसरी ओर महेश बाबू स्मृति समिति ने साहित्यिक अनुष्ठान करके विद्वत जनों और बौद्धिक वर्ग के लोगों के साथ कविता और शेर-ओ-शायरी के बीच जो नए साल मनाने का निर्णय लिया, इस सकारात्मक और प्रेरणास्पद विचार के लिए मैं समिति के समस्त पदाधिकारियों और सदस्यों कों साधुवाद देती हूँ, निसंदेह यह आयोजन समाज में अवश्य चिंतन पैदा करेगा और जैसा साहित्यकारों के विषय में कहा जाता है की "साहित्य समाज का दर्पण होता है, निश्चित रूप से यह आयोजन भी  समाज के लोगों को आईना दिखाते हुए प्रेरित और प्रभावित करने का काम करेगा। वास्तव में इन कवियों एवं रचनाकारों से सीख ले कर हम सबको इस नए वर्ष में राष्ट्रहित में नए आयामों को गढऩे का संकल्प लेना चाहिए, सही मायने में तब नूतन वर्ष मनाने की सार्थकता होगी। उक्त आशय के विचार विंध्य क्षेत्र की साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था स्व. महेश बाबू स्मृति समिति के तत्वावधान में नववर्ष के पावन उपलक्ष्य पर स्थानीय उर्रहट स्थित कृष्णा सदन में आयोजित काव्य संगोष्ठी में कार्यक्रम की मुख्य अतिथि विंध्य क्षेत्र की प्रसिद्ध लोकगीत गायिका, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन की कलाकार मणिमाला सिंह ने व्यक्त किए, कार्यक्रम की अध्यक्षता महेश बाबू स्मृति समिति के उपाध्यक्ष एवं कवि रामसुन्दर द्विवेदी ने की। जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ शायर जनाब रफीक रिवानी एवं वरिष्ठ  पत्रकार उमाशंकर तिवारी उपस्थित रहे, काव्य संगोष्ठी का सफल संचालन एवं आयोजन समिति के उपाध्यक्ष, मीसाबंदी, समाजसेवी एवं कवि सुभाष श्रीवास्तव ने किया। काव्य संगोष्ठी में शहर के जिन कवियों, शायरों, मीसाबंदियो,  समाजसेवियों, पत्रकारों, अधिवक्ताओं एवं बुद्धिजीवियों ने अपनी अपनी कविताओं, शायरियो और वक्तव्यों के माध्यम से उपस्थित जनमानस को नववर्ष की शुभकामनाएं प्रेषित की उनमें प्रमुख रूप से वरिष्ठ गीतकार इंद्रभान प्रसाद द्विवेदी, हास्य एवं व्यंग के वरिष्ठ रचनाकार कमल किशोर मिश्रा कमल, प्रकृति के चितेरे कवि रामलखन केवट जलेश, बघेली हास्य व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर बृजेश सिंह सरल, ओज कवि जानकी प्रसाद पांडेय, मीसाबंदी रामायण पटेल, समाजसेवी उदयराज भार्गव, शोभनाथ गुप्ता, पत्रकार डॉ सुरेश वर्मा, विजय थवानी, ज्ञानेन्द्र सोनी, संविदाकार, वर्धमान निगम, समाजसेविका ज्योत्सना श्रीवास्तव, अधिवक्ता मनोज गौतम, युवा रचनाकार साकेत श्रीवास्तव एवं युवा कवि सिद्धार्थ श्रीवास्तव शामिल है।   सर्वप्रथम कार्यक्रम की शुरुआत विंध्य क्षेत्र के प्रखर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. बाबू महेश प्रसाद श्रीवास्तव के चित्र के समक्ष पुष्पार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। तत्पश्चात उपस्थित अतिथियों का शब्दों से स्वागत समिति के प्रचार सचिव साकेत श्रीवास्तव ने किया। तत्पश्चात कवि राम लखन केवट जलेश ने नववर्ष पर केंद्रित अपनी इस रचना से काव्य संगोष्ठी का विधिवत शुभारंभ किया- नया वर्ष खुशहाली लाया, सबके मन को है यह भाया महकी फूल गुलाबी डाली, ठंड गुलाबी है यह लाया कली कली मद में मुस्काई, गुंजन राग तराना आया  सबकी खुशि से भर दे झोली, नया साल नव किरणे लाया कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ शायर जनाब रफीक रिवानी ने कुछ इन अल्फाज़ में नए साल पर परवरदिगार से दुआएं मांगी-
शायर हूँ नए साल में आप इतनी दुआ दे,
  कुछ टूटे फूटे लफ्ज़ है, मैं उनको जोड़ दूँ"
युवा कवि सिद्धार्थ श्रीवास्तव ने किस तरह का नववर्ष होना चाहिए इस संदर्भ में अपनी ये पंक्तियां पढ़ी-
मिले भूखों को निवाला तो कहूँ नववर्ष है
मिले प्यार बांटने वाला तो कहूँ नववर्ष है
कब से अंधेरे में पढी झोपडी कोने में जो,
वहां तक पहुंचे उजाला तो कहूँ नववर्ष है
कवि बृजेश सिंह सरल ने वर्तमान समय की समसामायिक समस्याओं पर कटाक्ष करते हुए व्यंग्य की अपनी ये पंक्तियां पेश की-
जेखे मरे मा जितना दान, ओखर उतनी ऊंची शान
सकल करइया है भगवान, धन्य है आपन हिन्दुस्तान
बघेली बोली के वरिष्ठ हास्य व्यंग्य कवि कमल किशोर मिश्रा कमल ने हाल ही में हुए चुनाव पर अपनी ये प्रेरणात्मक एवं व्यंगात्मक पंक्तियां पढ़ी-
होइगा चुनाव अब मिल के रहा
कुछ हमहूं सही कुछ तुहूँ सहा
अइसन ना होय कि बातय बात मा
ना हमहिन रही ना तुहिन रहा
युवा रचनाकार साकेत श्रीवास्तव ने नए वर्ष पर अपने जज़्बात कुछ इन पंक्तियों में व्यक्त किए-
दिनकर की नव किरणो से, जग हुआ प्रकाशवान
हो जाए नए साल में ऐसे, जगमग सारा हिन्दुस्तान"
कवि जानकी प्रसाद पांडेय ने देशभक्ति से परिपूर्ण अपनी ये पंक्तियां पेश की-
ये धरती याद रखेगी और गगन याद रखेगा
  वतन पे मरने वालो कों, वतन याद रखेगा
संचालन कर रहे वरिष्ठ कवि एवं मीसाबंदी सुभाष श्रीवास्तव ने अपने मनोभाव कुछ इन पंक्तियो में व्यक्त किए-
दिल से नफरत को मिटाना चाहता हूँ।
प्यार की दुनिया बसाना चाहता हूँ।
हो ना छोटा या बड़ा कोई जिसमें,
एक घर ऐसा बनाना चाहता हूँ।"
वरिष्ठ गीतकार इंद्रभान प्रसाद द्विवेदी ने भी राष्ट्रीयता के अपने मनोभावों को इन शब्दों में व्यक्त किया-
ये पावन धारा है, लाखो को तारा है
ये देश हमारा है, हमे जान से प्यारा है
  कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार उमाशंकर तिवारी ने कहा कि नए साल में हमे पुरानी बातों को विस्मृत करते हुए नए विचारों के साथ नवीन शुरुआत करने की आवश्यकता है। नए साल में हमारा व्यवहार, हमारा आचरण, हमारा क्रियाकलाप सभी नवीन होना चाहिए।


कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि रामसुन्दर द्विवेदी ने नववर्ष ने इस नए साल पर ईश्वर से कामना अपनी इन पँक्तियों में की।



आम आदमियों की जरूरते, पूरी हो नववर्ष में
खुशियों की बरसात हो, वर्ष भर नववर्ष में
काव्य संगोष्ठी के अंत में समस्त अतिथियों एवं उपस्थित जनों के प्रति आभार प्रदर्शन कार्यक्रम के आयोजक एवं संचालक सुभाष श्रीवास्तव ने व्यक्त किया। इस सार्थक संगोष्ठी में जिन प्रमुख लोगों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम को ऊंचाई प्रदान की उनमें प्रमुख रूप से समाजसेवी सुरेश विश्नोई, समाजवादी नेता नत्थू लाल सेन, राजकुमार प्रधान, गणेश वर्मा, मनोज नामदेव, मदन पटेल, सचिन तिवारी, अनंत माधव सिंह, रविकरण सिंह, राजराखन पटेल एवं रामकुमार पांडेय आदि शामिल है।

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