डभौरा। बोनस और मजदूरी न मिलने से तेंदूपत्ता मजदूरों में हताशा की भावना उत्पन्न है और वे शासन-प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि बकाया मजदूरी और शासन से मिलने वाला बोनस का भुगतान किया जाए। जिले के डभौरा वन परिक्षेत्र अंतर्गत लघु वन समिति घूमन के तेंदूपत्ता मजदूरों ने बताया कि वर्ष 2016 एवं 17 का बोनस राशि अभी तक उन्हें नहीं मिल पाई तो इसी तरह 2018 में उन्होंने वन क्षेत्र से तेंदूपत्ता की तुडाई का काम तो पूरा किया, लेकिन मजदूरी न मिलने के कारण वे परेशान हैं। मजदूरों ने बताया कि तेंदूपत्ता की मजदूरी से ही उनकी जीविका निर्भर होती है। लेकिन उसका भुगतान न होने से घर का चूल्हा जल पाना कठिन हो रहा है। वन समिति के मजदूरों की माने तो मजदूरी के भुगतान के लिए कहीं न कहीं विभाग के लोग भी जिम्मेदार हैं। बार-बार उन्हें मजदूरी को लेकर ध्यान आकृष्ट कराया जा रहा है। लेकिन भुगतान करवाने की बजाय वे इस मामले में हीला-हवाली कर रहे हैं। जिसके चलते उनका लंबित भुगतान नहीं हो पा रहा है।
सरकार पूरा करे वादा
वन समिति के मजदूरों ने नवगठित प्रदेश की कांग्रेस सरकार से भी मांग की है कि उन्होंने अपने वचन पत्र में जो वादा तेंदूपत्ता मजदूरों के लिए किया है उसे पूरा करें। उन्होंने बताया कि सरकार ने वचन पत्र में स्पष्ट किया था कि सरकार बनने के बाद तेंदूपत्ता मजदूरों को बोनस एवं तु?ाई का नकद भुगतान किया जाएगा। परंतु घोषणा के अनुसार अभी तक यह लागू नहीं किया गया है। उन्होंने ने बताया कि प्राथमिक लघु वन समिति घूमन, जतहरी, सुहावल का खाता जिला आईसेक्ट बैंक में करवाया गया था। वे चाहते हैं कि उक्त खाते को पुराने खातों में परिवर्तित करके स्थानीय बैंक में उनका खाता किया जाए। जिससे मिलने वाली मजदूरी का उन्हें भुगतान बराबर मिल सके।
सरकार पूरा करे वादा
वन समिति के मजदूरों ने नवगठित प्रदेश की कांग्रेस सरकार से भी मांग की है कि उन्होंने अपने वचन पत्र में जो वादा तेंदूपत्ता मजदूरों के लिए किया है उसे पूरा करें। उन्होंने बताया कि सरकार ने वचन पत्र में स्पष्ट किया था कि सरकार बनने के बाद तेंदूपत्ता मजदूरों को बोनस एवं तु?ाई का नकद भुगतान किया जाएगा। परंतु घोषणा के अनुसार अभी तक यह लागू नहीं किया गया है। उन्होंने ने बताया कि प्राथमिक लघु वन समिति घूमन, जतहरी, सुहावल का खाता जिला आईसेक्ट बैंक में करवाया गया था। वे चाहते हैं कि उक्त खाते को पुराने खातों में परिवर्तित करके स्थानीय बैंक में उनका खाता किया जाए। जिससे मिलने वाली मजदूरी का उन्हें भुगतान बराबर मिल सके।
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