रविवार, 18 नवंबर 2018

चार महीने की निद्रा के बाद कल उठेंगे देव

कार्तिक मास की एकादशी को देवउठनी ग्यारस के रूप में मनाया जाता है और सोमवार को यह तिथि होने के कारण शहर में इस पर्व की रौनक देखी गई। इस पर्व को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है और पूजा.अर्चना करने के साथ ही अन्य कार्य की शुरूआत इस तिथि से हो जाती है।
रीवा। कार्तिक मास की एकादशी को देवउठनी ग्यारस के रूप में मनाया जाता है और सोमवार को यह तिथि होने के कारण शहर में इस पर्व की रौनक देखी गई। इस पर्व को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है और पूजा.अर्चना करने के साथ ही अन्य कार्य की शुरूआत इस तिथि से हो जाती है। यही वजह है कि इस पर्व को लेकर उत्साह है। घरों में साफ.सफाई करने के साथ ही नई फसल गन्नाए शकरकंद आदि का पूजन लोग करेंगे। यह पर्व छोटी दिवाली के रूप में मनाए जाने के कारण पर्व के दौरान घर.घर में घी के दिए जलाने के साथ ही आतिशबाजी का भी इस पर्व में महत्व है। जिसके चलते बच्चे पटाखे आदि भी छोड़ेंगे।
ऐसी है मान्यता
देवउठनी पर्व को लेकर लक्ष्मणबाग संस्थान के पदाधिकारी पंडित दीनानाथ शास्त्री ने बताया कि वर्षाकाल चौमासा यानी 4 महीने तक देवता निद्रा में रहते हैं और एकादशी तिथि पर वे अपनी निद्रा तोड़कर भ्रमण करने के लिए निकल पड़ते हैं। जिसके चलते इस तिथि को देवउठनी छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है। देवताओं की पूजा.अर्चना इस दौरान की जाती है और इसके बाद मांगलिक कार्य प्रारंभ होते हैं। देवता जब निद्रा में थे तो पर्व मनाए जा रहे थे। जबकि मांगलिक कार्य इस समय नहीं हो रहे थे। उनके भ्रमण काल में ही मांगलिक कार्य का विधान है। यही वजह है कि यह पर्व कई मायनों में महत्वपूर्ण है।
करेंगे मंत्र का जाप
देवउठनी तिथि पर कई भगवान के ऐसे भक्त हैं जो मध्य रात्रि में अपने तंत्र.मंत्र को एक बार फिर नए तरह से तैयार करते हैं। वे रात में दीपक जलाकर अपने मंत्र का जाप करेंगे और फिर उस मंत्र का प्रयोग लोगों की दुखए दर्दए पीड़ा के निवारण में उपयोग करते हैं। तंत्र.मंत्र की विधा को पूरा करने वाले लोगों को भी इस पर्व का इंतजार है और वे तैयारी में भी जुट गए हैं।
यूपी से पहुंचा शकरकंद
देवउठनी पर्व के दौरान नई फसल की पूजा और व्रतधारी लोगों द्वारा उसे भोजन के रूप में उपयोग किया जाता है। जिसके चलते शकरकंद की मांग सबसे ज्यादा हो जाती है। तो वहीं उत्तर प्रदेश से शकरकंद की खेप पर्व के चलते रीवा पहुंच गई है। जहां शहरवासी शकरकंद की खरीदी भी कर रहे हैं। थोकए फुटकर सब्जी व्यापारी संघ के पूर्व अध्यक्ष लखपति कछवाह ने बताया कि आलू और शकरकंद की सबसे ज्यादा खेती पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में होती है और पर्व के दौरान शकरकंद व्यापारी यूपी से खरीदी करके लाते हें। चूंकि यह फसल यूपी की प्रमुख फसलों में से एक है और जिले से नजदीक होने के कारण व्यापारी इसकी खरीदी करते हैं।

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