अबय चुनाव के जग्य मां आबा अस आनन्द,
केतनेउ के किसमति हबय अब कोठरी मां बंद-रामलखन सिंह महगना
रीवा। कमलेश सिंह जोशी स्मृति रामकथा के समापन अवसर पर 05 दिसम्बर 2018 को दोपहर 12 बजे से विवेक ज्योति हाई स्कूल प्रांगण मनिकवार में कवि सम्मेलन आयोजित किया गया है। इस कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि विनोद पाण्डेय दुआरी एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता बघेली के वरिष्ठ कवि डा.कैलाश तिवारी ने की। कवि सम्मेलन का संचालन वरिष्ठ व्यंग्य कवि रामनरेश तिवारी निष्ठुर ने किया। सर्वप्रथम मत्रोच्चार के साथ मां भगवती तथा स्वर्गीय कमलेश सिंह के चित्र पर पुष्पांजलि मुख्य अतिथि एवं वरिष्ठ कवियों द्वारा किया गया। मंच में पधारे कवियों का स्वागत संयोजक रमेश सिंह चंदेल, अनिल गुप्ता, राजबहोर गुप्ता द्वारा किया गया। कवियों का परिचय कार्यक्रम के संयोजक जगजीवनलाल तिवारी द्वारा कराया गया। कवि सम्मेलन की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई। प्रथम कवि के रूप में युवा कवि अमित शुक्ला ने अपने दमदार चुटीले व्यंगो से समाज को आइना दिखाते हुए ये कविता पढ़ी-
वदला है जमाना, हम किस नजर से देखें।
तुम जिस नजर से बोलो, हम उस नजर से देखें।।
बघेली बोली के सशस्क्त हस्ताक्षर वृजेश सिंह सरल ने एक से बढ़कर एक रचनाएॅ समाज की दु:खती नब्ज पर हांथ रखकर श्रोताओं की पीड़ा से साम्य स्थापित कर भरपूर तालियां बटोरी-
गंगा वाली डुबकी भूले, रोज सांझ के दारू मां,
महतारी के पीरा बिसरी, लड़का अउर मेहरारू मां।।
बघेली के सदाबहार कवि रामलखन सिंह महगना ने अपनी कई रचनाओ से उपस्थित जनों को खूब हंसाया और भरपूर बाहवाही लूटी-
अबय चुनाव के जग्य मां आबा अस आनन्द,
केतनेउ के किसमति हबय अब कोठरी मां बंद।।
ओज के कवि भृगुनाथ भ्रमर ने देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए कलम के साथ नाता जोड़ा-
कभी मनुहार या उपहार के खातिर नहीं लिखता,
मैं कविता को कभी व्यापार के खाते में नहीं लिखता।।
रामप्रसाद द्विवेदी ने पीड़ा के स्वर को उजागर करते हुए कहा कि व्यक्ति को हालात अपने गिरफ्त को लेकर नैनो से नीर निकलते हैं। उनकी पंक्तियां सुनकर श्रोता बाह-वाह कह उठे-
नैनो से निकले जल को पलको में छुपा लेते हैं,
वे स्वयं नहीं रोते हालात रुला देते हैं।।
संचालन कर रहे कवि रामनरेश तिवारी निष्ठुर ने विद्यालय के बालक और बालिकाओं की उपस्थिति को देखकर अपनी बोली में तिरंगा गीत सुनाया-
इ तिरंगा रहय हम रही न रही।
जब कही भारत माता के जय-जय कही।।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कवि डा.कैलाश तिवारी ने वेटियों और पिता जी पर कविता सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर किया-
सुख मिला जब सन्तानों को, नरक भोगने लगे पिता जी।
जो सुख मन में रहे सजोये, स्वप्न हुए जब जगे पिता जी।।
कार्यक्रम का समापन विद्यालय के प्राचार्य सुरेश द्विवेदी के आभार प्रदर्शन से हुआ। इस अवसर पर ओंकार प्रताप सिंह, बद्री प्रसाद मिश्रा, रमेश सिंह चंदेल, श्यामलाल पाठक, रामजी गोस्वामी, गणेश जैसबाल, दिवाकर सिंह, दीनदयाल गुप्ता सहित विद्यालय के छात्र-छात्रायें, विद्यालय की शिक्षिकायें समेत काफी संख्या में क्षेत्रीयजन उपस्थित रहे।
केतनेउ के किसमति हबय अब कोठरी मां बंद-रामलखन सिंह महगना
रीवा। कमलेश सिंह जोशी स्मृति रामकथा के समापन अवसर पर 05 दिसम्बर 2018 को दोपहर 12 बजे से विवेक ज्योति हाई स्कूल प्रांगण मनिकवार में कवि सम्मेलन आयोजित किया गया है। इस कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि विनोद पाण्डेय दुआरी एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता बघेली के वरिष्ठ कवि डा.कैलाश तिवारी ने की। कवि सम्मेलन का संचालन वरिष्ठ व्यंग्य कवि रामनरेश तिवारी निष्ठुर ने किया। सर्वप्रथम मत्रोच्चार के साथ मां भगवती तथा स्वर्गीय कमलेश सिंह के चित्र पर पुष्पांजलि मुख्य अतिथि एवं वरिष्ठ कवियों द्वारा किया गया। मंच में पधारे कवियों का स्वागत संयोजक रमेश सिंह चंदेल, अनिल गुप्ता, राजबहोर गुप्ता द्वारा किया गया। कवियों का परिचय कार्यक्रम के संयोजक जगजीवनलाल तिवारी द्वारा कराया गया। कवि सम्मेलन की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई। प्रथम कवि के रूप में युवा कवि अमित शुक्ला ने अपने दमदार चुटीले व्यंगो से समाज को आइना दिखाते हुए ये कविता पढ़ी-
वदला है जमाना, हम किस नजर से देखें।
तुम जिस नजर से बोलो, हम उस नजर से देखें।।
बघेली बोली के सशस्क्त हस्ताक्षर वृजेश सिंह सरल ने एक से बढ़कर एक रचनाएॅ समाज की दु:खती नब्ज पर हांथ रखकर श्रोताओं की पीड़ा से साम्य स्थापित कर भरपूर तालियां बटोरी-
गंगा वाली डुबकी भूले, रोज सांझ के दारू मां,
महतारी के पीरा बिसरी, लड़का अउर मेहरारू मां।।
बघेली के सदाबहार कवि रामलखन सिंह महगना ने अपनी कई रचनाओ से उपस्थित जनों को खूब हंसाया और भरपूर बाहवाही लूटी-
अबय चुनाव के जग्य मां आबा अस आनन्द,
केतनेउ के किसमति हबय अब कोठरी मां बंद।।
ओज के कवि भृगुनाथ भ्रमर ने देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए कलम के साथ नाता जोड़ा-
कभी मनुहार या उपहार के खातिर नहीं लिखता,
मैं कविता को कभी व्यापार के खाते में नहीं लिखता।।
रामप्रसाद द्विवेदी ने पीड़ा के स्वर को उजागर करते हुए कहा कि व्यक्ति को हालात अपने गिरफ्त को लेकर नैनो से नीर निकलते हैं। उनकी पंक्तियां सुनकर श्रोता बाह-वाह कह उठे-
नैनो से निकले जल को पलको में छुपा लेते हैं,
वे स्वयं नहीं रोते हालात रुला देते हैं।।
संचालन कर रहे कवि रामनरेश तिवारी निष्ठुर ने विद्यालय के बालक और बालिकाओं की उपस्थिति को देखकर अपनी बोली में तिरंगा गीत सुनाया-
इ तिरंगा रहय हम रही न रही।
जब कही भारत माता के जय-जय कही।।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कवि डा.कैलाश तिवारी ने वेटियों और पिता जी पर कविता सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर किया-
सुख मिला जब सन्तानों को, नरक भोगने लगे पिता जी।
जो सुख मन में रहे सजोये, स्वप्न हुए जब जगे पिता जी।।
कार्यक्रम का समापन विद्यालय के प्राचार्य सुरेश द्विवेदी के आभार प्रदर्शन से हुआ। इस अवसर पर ओंकार प्रताप सिंह, बद्री प्रसाद मिश्रा, रमेश सिंह चंदेल, श्यामलाल पाठक, रामजी गोस्वामी, गणेश जैसबाल, दिवाकर सिंह, दीनदयाल गुप्ता सहित विद्यालय के छात्र-छात्रायें, विद्यालय की शिक्षिकायें समेत काफी संख्या में क्षेत्रीयजन उपस्थित रहे।
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