गुरुवार, 6 दिसंबर 2018

विवाह भोग के लिये नहीं, योग के लिये: आचार्य नवलेश दीक्षित

रीवा। विवाह एक धार्मिक संस्कार है, भटके हुये मन को एक खूटे में बांधने का नाम ही विवाह है। चित्रकूट से पधारें आचार्य नवलेश जी महाराज ने बताया कि भागवत कथा के छटे दिन रास-महारास की कथा हृदय को पवित्र करती है। हृदय से सम्बन्धित किसी भी प्रकार की बीमारी रास पंचध्यायी समाप्त कर देती है, ब्रम्ह और जीव के बीच जो आवरण है वही चीरहरण है। कथा प्रवाह के बीच आचार्य श्री ने कहा कि छ: समय क्रोध न करेंगें तो समय साथ देने लगेगा, यह नितान्त सत्य है। पहला यात्रा के समय, दूसरा भोजन करते समय, पूजा करते समय, शहर के घर वापस आते समय, सोते समय, सुबह जागते ही ऐसा संतों का मत है, भागवत जीना सिखाती है, भागवत मरना सिखाती है, अन्त में गाय की महिमा बताते हुये गाय की संरक्षण की बात कही, जन्म से मृत्यु पर्यान्त गाय की जरूरत, अस्तु गोपालन की सलाह दिया। उसके पश्चात् प्रसाद वितरण हुआ। भागवत कथा के आयोजक सत्यनारायण गुप्ता न कहा कि दिनांक 07.12.018 दिन शुक्रवार को कथा का आखिरी दिन है, लोग समय से आकर कथा का आनन्द जरूर लेें। आज कथा में उपस्थित जनों ने लालजी गुप्ता, अमरनाथ गुप्ता, विनोद गुप्ता, बनानसीलाल गुप्ता, देवलाल गुप्ता, संगीता गुप्ता, सुनीता गुप्ता, मीना गुप्ता, मौसमी गुप्ता, दीक्षा गुप्ता, रूची गुप्ता, अजय गुप्ता, सिद्धार्थ गुप्ता, मनीष गुप्ता, राजेश नामदेव, दीपक सेन, दीपक गुप्ता, आलोक सक्सेना, अनिल सिंह बघेल आदि सैकड़ो जन उपस्थित रहें। इस भागवत कथा की जानकारी भागवत के मीडिया प्रभारी राजेश नामदेव ने दिया।

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