सोमवार, 3 दिसंबर 2018

पाप बढऩे पर भगवान राक्षसों का उद्धार करने लेते हैं अवतार

व्यंकट मार्ग में स्थित बैजूधर्म शला में श्रीमद् भागवत कथा की सरिता बह रही है। चित्रकूट धाम के कथा व्यास नवलेश दीक्षित द्वारा भक्तों को श्रीमद् भागवत कथा के एक.एक वृतांत को बड़े सहज और सरल स्वरूप में प्रस्तुत करके भगवान की लीलाओं को बता रहे हैं।
रीवा। व्यंकट मार्ग में स्थित बैजूधर्म शला में श्रीमद् भागवत कथा की सरिता बह रही है। चित्रकूट धाम के कथा व्यास नवलेश दीक्षित द्वारा भक्तों को श्रीमद् भागवत कथा के एक.एक वृतांत को बड़े सहज और सरल स्वरूप में प्रस्तुत करके भगवान की लीलाओं को बता रहे हैं। उन्होंने कथा के दौरान बताया कि जब.जब धरती पर आसुरी शक्तियां तथा पाप बढ़े हैं भगवान स्वयं अवतरित होकर इसको समाप्त करने का काम करते आ रहे हैं। त्रेता युग में भगवान राम के रूप में अवतार लेकर उन्होंने राक्षसी प्रवृत्ति को समाप्त किया। तो द्वापर युग में भगवान कृष्ण के रूप में अवतरित होकर जहां बाल लीलाओं के रूप में लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं तो वहीं कंसरूपी बुराई को उन्होंने समाप्त किया था। जिस कंस का उन्होंने वध किया था वे स्वयं कृष्ण के मामा थे। लेकिन कंस की जो कार्यशैली थी वह पाप के रास्ते पर थी। गलत राह पर चलते हुए कंस लोगों को परेशान कर रहे थे जहां भगवान ने उनका वध करके यह साफ किया कि बुराई का प्रतीक कोई भी हो उसका अंत निश्चित है।
निकाली गई कलश यात्रा
कथा के पूर्व शहर में एक कलश यात्रा भी निकाली गई। कलश यात्रा की शुरूआत महामृत्युंजय भगवान किला से की गई। इस कलश यात्रा में महिलाएं और युवतियों ने भी बढ़.चढ़कर हिस्सा लिया। वे अपने सिर पर कलश धारण करके महामृत्युंजय मंदिर से कथा स्थल बैजू धर्मशाला तक शामिल रही।

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