संक्रामक ला इलाज बीमारी एचआईवी से पीडि़त मरीज को छूने या फिर उसे चूमने से बीमारी नहीं बढ़ती है बल्कि इससे मरीज में प्यार और जीवन जीने का आत्मविश्वास पैदा होता है।
रीवा। संक्रामक ला इलाज बीमारी एचआईवी से पीडि़त मरीज को छूने या फिर उसे चूमने से बीमारी नहीं बढ़ती है बल्कि इससे मरीज में प्यार और जीवन जीने का आत्मविश्वास पैदा होता है। यह बीमारी ला इलाज है और जानकारी ही इसका बचाव है। बीमारी की रोकथाम के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसके बारे में बताने और उन्हें जागरूक करने की जरूरत है। इसी उद्देश्य को लेकर विश्व एड्स दिवस पर शनिवार को स्वास्थ्य विभाग द्वारा तरह.तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए। रानी तालाब परिसर में एड्स दिवस पर संगोष्ठी आयोजित की गई जिसमें प्रशिक्षुक नर्स और महिलाओं को एड्स बीमारी के प्रति जागरूक किया गया। इस दौरान डॉण् बीएल मिश्रा ने उपस्थित महिलाओं को बताया कि इस बीमारी की रोकथाम में महिलाओं की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है और वे अपने अन्य महिलाओं को इस बीमारी के संबंध में जानकारी देने के साथ ही अपने परिचितों को जागरूक करने की समझाइश भी दें। जिससे यह जागरूकता अभियान जन.जन तक पहुंच सके। तभी इस बीमारी से लोगों को बचाया जा सकता है।
इस तरह फैलती है बीमारी
कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि एड्स संक्रामक खून अगर दूसरे मरीज को चढ़ता है तो यह बीमारी उसके शरीर में फैल जाती है। वहीं एड्स पीडि़त महिला या पुरुष एक.दूसरे के संपर्क में आते हैं तो एड्स के वायरस न सिर्फ उनमें फैलते हैं बल्कि मां के गर्भ में आने वाले बच्चे में भी यह बीमारी फैल जाती है। एड्स पीडि़त मरीज में उपयोग की गई सुई या फिर ब्लेड का उपयोग दूसरे आदमी में अगर किया जाता है तो उसमें एड्स के वायरस फैल जाते हैं। इस मामले में नर्स की जिम्मेदारी काफी अहम होती है। वे इंजेक्शन लगाने के समय एक मरीज में एक ही सुई इंजेक्शन का उपयोग करें। महिलों को इस बीमारी के संबंध में जानकारी देने के साथ ही बचाव भी उन्हें बताएं। इस दौरान शहर में एक एड्स जागरूकता रैली भी निकाली गई और लोगों को पम्पलेट देकर बीमारी के संबंध में बताया गया।
डेंजर जोन में है जिला
एड्स विभाग के आंकड़े पर नजर दौड़ाई जाए तो अकेले रीवा जिले में लगभग 3 हजार एचआईवी संक्रमित मरीज पाए गए हैं। इसमें से लगभग 242 ऐसे बच्चे हैं जिन्हें विरासत के रूप में जन्म के साथ ही एड्स की बीमारी से लड़ाई लडऩा पड़ रहा है। वर्ष 2010 में एसएस मेडिकल कॉलेज में एड्स जांच केन्द्र स्थापित किया गया था। तब से अब तक दो सैकड़ा से ज्यादा बच्चे एड्स के सामने आए हैं। आमतौर पर बच्चों को माता.पिता से धनए संपदा मिलती हैए लेकिन जिले के 242 ऐसे बच्चे हैं जिन्हें अपनी माता.पिता की गलतियों के चलते उन्हें बीमारी जैसे दंश झेलनी पड़ रही है। रीवा जिला इस बीमारी को लेकर ए ग्रेड की श्रेणी में है। मप्र राज्य एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की रैकिंग में जिले को ए ग्रेड में रखा गया है। इसके साथ बालाघाटए इंदौरए देवासए हरदाए मंदसौर और पन्ना जिला भी शामिल है।
रीवा। संक्रामक ला इलाज बीमारी एचआईवी से पीडि़त मरीज को छूने या फिर उसे चूमने से बीमारी नहीं बढ़ती है बल्कि इससे मरीज में प्यार और जीवन जीने का आत्मविश्वास पैदा होता है। यह बीमारी ला इलाज है और जानकारी ही इसका बचाव है। बीमारी की रोकथाम के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसके बारे में बताने और उन्हें जागरूक करने की जरूरत है। इसी उद्देश्य को लेकर विश्व एड्स दिवस पर शनिवार को स्वास्थ्य विभाग द्वारा तरह.तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए। रानी तालाब परिसर में एड्स दिवस पर संगोष्ठी आयोजित की गई जिसमें प्रशिक्षुक नर्स और महिलाओं को एड्स बीमारी के प्रति जागरूक किया गया। इस दौरान डॉण् बीएल मिश्रा ने उपस्थित महिलाओं को बताया कि इस बीमारी की रोकथाम में महिलाओं की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है और वे अपने अन्य महिलाओं को इस बीमारी के संबंध में जानकारी देने के साथ ही अपने परिचितों को जागरूक करने की समझाइश भी दें। जिससे यह जागरूकता अभियान जन.जन तक पहुंच सके। तभी इस बीमारी से लोगों को बचाया जा सकता है।
इस तरह फैलती है बीमारी
कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि एड्स संक्रामक खून अगर दूसरे मरीज को चढ़ता है तो यह बीमारी उसके शरीर में फैल जाती है। वहीं एड्स पीडि़त महिला या पुरुष एक.दूसरे के संपर्क में आते हैं तो एड्स के वायरस न सिर्फ उनमें फैलते हैं बल्कि मां के गर्भ में आने वाले बच्चे में भी यह बीमारी फैल जाती है। एड्स पीडि़त मरीज में उपयोग की गई सुई या फिर ब्लेड का उपयोग दूसरे आदमी में अगर किया जाता है तो उसमें एड्स के वायरस फैल जाते हैं। इस मामले में नर्स की जिम्मेदारी काफी अहम होती है। वे इंजेक्शन लगाने के समय एक मरीज में एक ही सुई इंजेक्शन का उपयोग करें। महिलों को इस बीमारी के संबंध में जानकारी देने के साथ ही बचाव भी उन्हें बताएं। इस दौरान शहर में एक एड्स जागरूकता रैली भी निकाली गई और लोगों को पम्पलेट देकर बीमारी के संबंध में बताया गया।
डेंजर जोन में है जिला
एड्स विभाग के आंकड़े पर नजर दौड़ाई जाए तो अकेले रीवा जिले में लगभग 3 हजार एचआईवी संक्रमित मरीज पाए गए हैं। इसमें से लगभग 242 ऐसे बच्चे हैं जिन्हें विरासत के रूप में जन्म के साथ ही एड्स की बीमारी से लड़ाई लडऩा पड़ रहा है। वर्ष 2010 में एसएस मेडिकल कॉलेज में एड्स जांच केन्द्र स्थापित किया गया था। तब से अब तक दो सैकड़ा से ज्यादा बच्चे एड्स के सामने आए हैं। आमतौर पर बच्चों को माता.पिता से धनए संपदा मिलती हैए लेकिन जिले के 242 ऐसे बच्चे हैं जिन्हें अपनी माता.पिता की गलतियों के चलते उन्हें बीमारी जैसे दंश झेलनी पड़ रही है। रीवा जिला इस बीमारी को लेकर ए ग्रेड की श्रेणी में है। मप्र राज्य एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की रैकिंग में जिले को ए ग्रेड में रखा गया है। इसके साथ बालाघाटए इंदौरए देवासए हरदाए मंदसौर और पन्ना जिला भी शामिल है।
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