इस तरह हुआ गुढ का खासा विकास
गुढ के विकास के नाम पर हम किसी से कम नही
रीवा/गुढ।
गुढ क्षेत्र के स्थानीय नेताओं से लेकर प्रदेश मे बैठी सरकार तक भले ही विकास के नाम पर चुनाव के समय जनता को गुमराह कर ले लेकिन नेताओं के दिल मे छिपे चोर की सच्चाई जनता के सामने आ ही जाती है। अभी चुनाव हुआ और चुनांव की गणना बाकी है। लेकिन नेता प्रत्यासी समर्थक अपने अपने प्रत्यासियों की जीत का जश्न मनाना शुरु किये हुए आम नागरिको का इन नेताओं के आगे घरो से निकलना दूभर हो गया है। कौन जीतेगा कौन हारेगा किसके सर सेहरा बधेगा किसके सर से उतरेगा यह तो अभी सभी का भाग्य मशीन मे भरा हुआ है। और इस बात का फैसला 11 तारीख को तय होगा लेकिन उसके पहले ही जब कोई जानने सुनने वाला नही होगा तो इस ताज का मतलब ही क्या होगा। जी हां गुढ तहसील के सामने से खैरा रायपुर कर्चु0, मनिकवार, मनिगवां को जोडने वाली सडक की हालत देख लगता है। कि गुढ क्षेत्र मे तो नेता है ही नही तो फिर यह ताज का इंतजार क्यो क्योकि अगर एक बार आम आदमी इस मार्ग से निकल गया या अनजाने मे घुस गया तो धूल के कारण उसे यह पता नही होता कि उसे जाना कहा था और उसकी दिमागी संतुलन खो जाती है। और बह ज्ञातब्य स्थान की बजाय अज्ञात स्थान पहुंच जाता है। इसी कारण से इस बार जनता ने परिवर्तन करने का फैसला लिया था। और परिवर्तन होके रहेगा यह हाल मात्र इसी मार्ग का नही है यह तो एक छोटा सा उदाहरण है ये हाल पूरे प्रदेश का है। गुढ के विकास के मान चित्र मे तो 25 साल पहले लाल स्याही लग चुकी थी। सौर्य ऊर्जा, स्टील प्लान्ट, लिफ्ट एरीगेशन इसे हम विकास का दर्जा नही देते क्योकि देश मे कही जगह न मिलने के कारण इन राजनेताओं ने हमारी सम्पदा का मात्र शोषण किया है। क्योकि बदवार पहाड मे वेश कीमती सम्पदा छिपी हुई है। जिससे जिले के लाखो परिवार का पेट चलता था, हमारे यहां की पूरी चरगाह भूमि का अंन्त हो गया। चरगाह भूमि न बचने से मवेशियों को पालको ने आवारा छोड दिया, जिससे और अधिक परेशानियां सबके सामने आ गई, सौर्य ऊर्जा मे जिले के युवाओ की बजाय बिहार, उडीसा, राजस्थान, केरला एवं अन्य प्रांन्तो के युवाओं को भरकर पूरे क्षेत्र को आतंक के साये मे डाल दिया गया क्या यही विकास है। जरा आप सभी सोचिये कि गुढ क्षेत्र नही बल्कि इन राज नेताओ ने जिले भर के किसान, नौजवान, छात्र, वेरोजगार, एवं ब्यापारियों के साथ कितना बडा धोखा किया है। और विकास के नाम पर सडक, बिजली, पानी, के लिए आज भी क्षेत्र के लोग तरस रहे है।
गुढ के विकास के नाम पर हम किसी से कम नही
रीवा/गुढ।
गुढ क्षेत्र के स्थानीय नेताओं से लेकर प्रदेश मे बैठी सरकार तक भले ही विकास के नाम पर चुनाव के समय जनता को गुमराह कर ले लेकिन नेताओं के दिल मे छिपे चोर की सच्चाई जनता के सामने आ ही जाती है। अभी चुनाव हुआ और चुनांव की गणना बाकी है। लेकिन नेता प्रत्यासी समर्थक अपने अपने प्रत्यासियों की जीत का जश्न मनाना शुरु किये हुए आम नागरिको का इन नेताओं के आगे घरो से निकलना दूभर हो गया है। कौन जीतेगा कौन हारेगा किसके सर सेहरा बधेगा किसके सर से उतरेगा यह तो अभी सभी का भाग्य मशीन मे भरा हुआ है। और इस बात का फैसला 11 तारीख को तय होगा लेकिन उसके पहले ही जब कोई जानने सुनने वाला नही होगा तो इस ताज का मतलब ही क्या होगा। जी हां गुढ तहसील के सामने से खैरा रायपुर कर्चु0, मनिकवार, मनिगवां को जोडने वाली सडक की हालत देख लगता है। कि गुढ क्षेत्र मे तो नेता है ही नही तो फिर यह ताज का इंतजार क्यो क्योकि अगर एक बार आम आदमी इस मार्ग से निकल गया या अनजाने मे घुस गया तो धूल के कारण उसे यह पता नही होता कि उसे जाना कहा था और उसकी दिमागी संतुलन खो जाती है। और बह ज्ञातब्य स्थान की बजाय अज्ञात स्थान पहुंच जाता है। इसी कारण से इस बार जनता ने परिवर्तन करने का फैसला लिया था। और परिवर्तन होके रहेगा यह हाल मात्र इसी मार्ग का नही है यह तो एक छोटा सा उदाहरण है ये हाल पूरे प्रदेश का है। गुढ के विकास के मान चित्र मे तो 25 साल पहले लाल स्याही लग चुकी थी। सौर्य ऊर्जा, स्टील प्लान्ट, लिफ्ट एरीगेशन इसे हम विकास का दर्जा नही देते क्योकि देश मे कही जगह न मिलने के कारण इन राजनेताओं ने हमारी सम्पदा का मात्र शोषण किया है। क्योकि बदवार पहाड मे वेश कीमती सम्पदा छिपी हुई है। जिससे जिले के लाखो परिवार का पेट चलता था, हमारे यहां की पूरी चरगाह भूमि का अंन्त हो गया। चरगाह भूमि न बचने से मवेशियों को पालको ने आवारा छोड दिया, जिससे और अधिक परेशानियां सबके सामने आ गई, सौर्य ऊर्जा मे जिले के युवाओ की बजाय बिहार, उडीसा, राजस्थान, केरला एवं अन्य प्रांन्तो के युवाओं को भरकर पूरे क्षेत्र को आतंक के साये मे डाल दिया गया क्या यही विकास है। जरा आप सभी सोचिये कि गुढ क्षेत्र नही बल्कि इन राज नेताओ ने जिले भर के किसान, नौजवान, छात्र, वेरोजगार, एवं ब्यापारियों के साथ कितना बडा धोखा किया है। और विकास के नाम पर सडक, बिजली, पानी, के लिए आज भी क्षेत्र के लोग तरस रहे है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें