स्वच्छता की तस्वीर बया कर रही प्लाटों में भरी गंदगी
नगर निगम 2019 में लेना चाहता है स्वच्छता का अवार्ड
रीवा। पूरे देश में स्वच्छता की चाहे जो पैमाने हो पर अपने शहर में स्वच्छता का सबसे बड़ा पैमाना जगह-जगह से उठ रहा धूल का गुबार है और शहर में विकसित हुई वैध-अवैध कालोनियों के बीच खाली पड़ी जमीनों में गंदगी ने अपना घर बना रखा है। स्वच्छता सर्वे में अगर इन्हे शामिल कर लिया जाए तो अपने शहर की हालत माइनस मार्किंग में पहुंच जायेगी। शहर की सफाई का हाल किसी से छिपा नहीं है। जिस दिन से झाडू लगाने वाली मशीने आ गई है तो धूल से थोड़ी राहत अवश्य मिली है पर गंदगी के मामले में अभी भी अपने शहर के हालात पुराने जैसे ही है। कचरा डंपिंग प्पाइंटों से उनका उठाव नहीं होता। जिस कारण उन पर आवारा मवेशी व अन्य जानवर लगे रहते है। नगर निगम का प्रशासन का हाल तो देश भर में निराला है। सबको याद है जब नगर निगम के कार्यालय के सामने दफनाई गई आधा दर्जन गायों की लाशों को खोदकर निकाला गया था और बतौर कार्यवाही वहां के अरूण मिश्रा नामक अधिकारी को निलंबित कर दिया गया था। आवारा जानवर आज भी शहर में जहां-तहां मरे पड़े मिल जाते है और उन्हे उठाने वाला कोई नहीं रहता।
तत्कालीन निगमायुक्त कर्मवीर शर्मा के कार्यकाल में शहर में सफाई अभियान का असर अवश्य दिखता था लेकिन उनके जाते ही यहां के मोटी खाल वाले अधिकारी फिर से अपने पुराने ढर्रे पर आ चुके है। इस नगर निगम को फिर से उन्ही की तरह तेज तर्रार आईएएस अधिकारी चाहिए जो यहां पदस्थ बिगडैल साड़ों को काबू कर सके। जब तक ऐसा कोई अधिकारी नहीं पदस्थ किया जाता , नगर निगम की व्यवस्था में सुधार संभव नहीं है।
उल्लेखनीय है कि शहर के तकरीवन हर वार्ड में कई ऐसे स्थान है जहां गंदगी का साम्राज्य है। निगम प्रशासन के पास उसे साफ करने का न तो समय है और न ही ऐसा कोई सिस्टम है जिसके माध्यम से उस गंदगी को दूर किया जा सके। मोहल्लों में नालियों के अभाव के कारण आम निस्तार के गंदे पानी की निकासी न होने के कारण खाली जमीनों में जमा होता है और वह आसपास के लोगों के लिए जान लेवा भी साबित होता है। ऐसी जगह की कचरा एवं मिट्टी सड़कर ऐसी भीषण दुर्गंध फेेकता है कि राह चलना मुश्किल होता है।
रीवा नगर निगम हर प्रकार का टैक्स लेता है नगर निगम की सीमा में रहनेवालो से पर सुविधा कितनी उपलब्ध करता है आप खुद देख ले यह तस्वीर है वार्ड 25 पी टी एस के चर्च के पीछे वेंकट बटालियन में रहने वालों की लोगो ने बढ़ चढ़ कर मतदान में हिस्सा लिया व अपनी समस्या को स्थानीय पार्षद से लेकर 181 तक मे शिकायत के साथ नगर निगम के आला अधिकारियों तक अपनी बात रक्खी पर कोई कर्मचारी न अधिकारी देखने तक आया हा टैक्स जमा करने का दबाब हमेशा नगर निगम बनाता रहता है स्वच्छता को लेकर करोड़ो रुपया पानी की तरह विज्ञापन खर्च किया जाता है पर स्वच्छता के प्रति कितना जागरूक है नगरनिगम रीवा तस्वीर खुद बया कर रही है ।
नगर निगम 2019 में लेना चाहता है स्वच्छता का अवार्ड
रीवा। पूरे देश में स्वच्छता की चाहे जो पैमाने हो पर अपने शहर में स्वच्छता का सबसे बड़ा पैमाना जगह-जगह से उठ रहा धूल का गुबार है और शहर में विकसित हुई वैध-अवैध कालोनियों के बीच खाली पड़ी जमीनों में गंदगी ने अपना घर बना रखा है। स्वच्छता सर्वे में अगर इन्हे शामिल कर लिया जाए तो अपने शहर की हालत माइनस मार्किंग में पहुंच जायेगी। शहर की सफाई का हाल किसी से छिपा नहीं है। जिस दिन से झाडू लगाने वाली मशीने आ गई है तो धूल से थोड़ी राहत अवश्य मिली है पर गंदगी के मामले में अभी भी अपने शहर के हालात पुराने जैसे ही है। कचरा डंपिंग प्पाइंटों से उनका उठाव नहीं होता। जिस कारण उन पर आवारा मवेशी व अन्य जानवर लगे रहते है। नगर निगम का प्रशासन का हाल तो देश भर में निराला है। सबको याद है जब नगर निगम के कार्यालय के सामने दफनाई गई आधा दर्जन गायों की लाशों को खोदकर निकाला गया था और बतौर कार्यवाही वहां के अरूण मिश्रा नामक अधिकारी को निलंबित कर दिया गया था। आवारा जानवर आज भी शहर में जहां-तहां मरे पड़े मिल जाते है और उन्हे उठाने वाला कोई नहीं रहता।
तत्कालीन निगमायुक्त कर्मवीर शर्मा के कार्यकाल में शहर में सफाई अभियान का असर अवश्य दिखता था लेकिन उनके जाते ही यहां के मोटी खाल वाले अधिकारी फिर से अपने पुराने ढर्रे पर आ चुके है। इस नगर निगम को फिर से उन्ही की तरह तेज तर्रार आईएएस अधिकारी चाहिए जो यहां पदस्थ बिगडैल साड़ों को काबू कर सके। जब तक ऐसा कोई अधिकारी नहीं पदस्थ किया जाता , नगर निगम की व्यवस्था में सुधार संभव नहीं है।
उल्लेखनीय है कि शहर के तकरीवन हर वार्ड में कई ऐसे स्थान है जहां गंदगी का साम्राज्य है। निगम प्रशासन के पास उसे साफ करने का न तो समय है और न ही ऐसा कोई सिस्टम है जिसके माध्यम से उस गंदगी को दूर किया जा सके। मोहल्लों में नालियों के अभाव के कारण आम निस्तार के गंदे पानी की निकासी न होने के कारण खाली जमीनों में जमा होता है और वह आसपास के लोगों के लिए जान लेवा भी साबित होता है। ऐसी जगह की कचरा एवं मिट्टी सड़कर ऐसी भीषण दुर्गंध फेेकता है कि राह चलना मुश्किल होता है।
रीवा नगर निगम हर प्रकार का टैक्स लेता है नगर निगम की सीमा में रहनेवालो से पर सुविधा कितनी उपलब्ध करता है आप खुद देख ले यह तस्वीर है वार्ड 25 पी टी एस के चर्च के पीछे वेंकट बटालियन में रहने वालों की लोगो ने बढ़ चढ़ कर मतदान में हिस्सा लिया व अपनी समस्या को स्थानीय पार्षद से लेकर 181 तक मे शिकायत के साथ नगर निगम के आला अधिकारियों तक अपनी बात रक्खी पर कोई कर्मचारी न अधिकारी देखने तक आया हा टैक्स जमा करने का दबाब हमेशा नगर निगम बनाता रहता है स्वच्छता को लेकर करोड़ो रुपया पानी की तरह विज्ञापन खर्च किया जाता है पर स्वच्छता के प्रति कितना जागरूक है नगरनिगम रीवा तस्वीर खुद बया कर रही है ।
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