शनिवार, 8 दिसंबर 2018

अजब गजब के परिणामों का लेखा-जोखा

मतदाताओं में हार-जीत का हुजूम दिमाग पर सवार
जिले में जहां एक तरफ विधानसभा चुनाव को लेकर आम जनमानस में तर्क वितर्क व जीत हार पर चर्चा पर चर्चा हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ जिला का प्रशासन चुनावी व्यवस्था को चुस्त दुरस्त बनाये रखने के लिए मसक्कत कर रहा है प्रशासन राजनीतिक दलों व मतदाताओं की भावनाओं व मांग के प्रति गंभीर नजर आ रही है। पिछले दिनों इवीएम मशीन को लेकर जिस तरह से कांग्रेस सहित अन्य दलों के लोगों ने धांधली की आशंका जताई थी। इस पर कलेक्टर के बयान और गोली मारने के आदेश पर गंभीरता बनी हुई है।
रीवा कीर्तिप्रभा।
गौरतलब है कि रीवा जिले में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं जिन विधानसभा क्षेत्रों में प्रमुख मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच में है हलाकि गुढ विधानसभा सेमरिया में सपा और बसपा के बीच कही जा रही है परंतु जिस तरह तमाम विशलेशकों व जानकारों के मत सामने आ रहे हैं उसमें भाजपा व कांग्रेस आमने-सामने आर पार की लड़ाई लड़ रहे है। माना जा रहा है कि रीवा जिले के प्रतीष्ठा पूर्व सीट शहर की रीवा विधानसभा में शिवराज सरकार के सबसे कामयाब मंत्री राजेन्द्र शुक्ला की सीधी टक्कर अध्यक्ष अभय मिश्रा के बीच हैं इसके पहले अभय मिश्रा भाजपा से ही सेमरिया क्षेत्र से चुनाव लड़ा करते थे परंतु बीते वर्ष से विधायकी व जिला पंचायत के चुनाव इसी बात को लेकर राजनीतिक मतभेद हो गई और इतना बढे कि भाजपा में रहते अभय मिश्रा और राजेन्द्र मिश्रा और प्रेदश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह के खिलाफ बयान बाजी की और आंदोलन और प्रदर्शन सरकार के खिलाफ किए जिस कारण भाजपा में रहते ही द्वंद की स्थिति नियमित हो गई थी और जब चुनाव के दिन आये तो दिल्ली जाकर कांग्रेस एक झटके में आकर रीवा विस से चुनाव लडने की ताल ठोंक दी।
अपराजित नेता के रूप में विख्यात अभय मिश्रा के निशाने पर राजेन्द्र शुक्ला ने एक आदिवासी की मौत के मुद्दे को लेकर दबाव बनाने की मुददे को लेकर पुलिस को घेरने की परंतु अभय मिश्रा ने इस साजिस को कुचर्क करते हुए आम जनता के दम पर मंत्री को घेरने में आगे बढ़ते रहे तथा टिकट वितरण से लेकर चुनाव प्रचार से लेकर जिस तरह से मंत्री की हवा निकाली यह भी रीवा के इतिहास में जाना जायेगा।
जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा इस पर एक्जिट पोल कर पाना संभव नहीं है पर जो आवोहवा रीवा विस क्षेत्र से चारो तरफ से निखर रही है उसमें अभय को भय नहीं लग रहा है।
जिले का सिरमौर विस में भी राजा और प्रजा भी आमने सामने है चुनाव प्रचार के दौरान राजा के रथ में सवार भाजपा के उम्मीदवार के मुकाबले में कांग्रेस के झण्डे के नीचे प्रजा की जनता का हुजूम डा. अरूणा तिवारी के साथ दिखा। सूरज की किरण निकलने के साथ ही डा. अरूणा की टोली तराई अंचल की गांवों में भ्रमण करते हुए मतदाताओं से अपनी बातें कह-कहकर वोट मांगती नजर हाती थी। विंध्य की सबसे चर्चित घराने की बहूं और स्व. श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी के नाती डा. विवेक तिवारी बबला ने जिस तरह हौसला अफजाई की यह रीवा की राजनीति में एक महिला का ओजस्वी पूर्ण कार्य आने वाली पीढी के लिए माना जायेगा। माना जा रहा है कि सिरमौर विस से डा. अरूणा तिवारी की जीत निश्चित है जिसका सीधा मुकाबला भाजपा के युवराज दिव्यराज सिंह से है तो इस सीट पर सपा और बसपा एक सीट पर एक दूसरे पर कौन भारी हो जाये यह लड़ाई लड़ रहे हैं।
सेमरिया विधानसभा दूर की विधानसभा है सतना जिले का अच्छा खासा के असर के साथ-साथ  रीवा शहर से लगी हुई विधानसभा है यहां पर भारतीय जनता पार्टी से पूर्व विधायक अभय मिश्रा की पत्नी नीलम मिश्रा भाजपा से विधायक थी मगर जब उनके पती ने कांग्रेस की सदस्या लेली तो भाजपा ने उन्हें टिकट न देकर किनारा कर लिया जिनके स्थान पर भाजपा ने रीवा के जनपद पंचायत के अध्यक्ष व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला के गुर्गे केपी त्रिपाठी को चुनाव मे उतारा तो वहीं कांग्रेस एक बार पुन: त्रियुगी नारायण शुक्ला को उतारकर जोर आजमाइस की कोशिश की। कहना है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने पिटे हुए मोहरे का प्रयोग किया एक मंत्री का तो दूसरी संतरी अर्थात प्रतिपक्ष के नेता के समर्थक हैं। लिहाजा डीएसपी के पंकज सिंह का दमखम क्षेत्र के अंदर दिखा। यही वजह है कि बसपा के कयास लगाए जा रहे हैं।
जिले के सबसे महत्वपूर्ण विस क्षेत्र मनगवां जहां पर स्व. पवू्र विस अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी की राजनीतिक कर्म स्थली होने के साथ-साथ ग्राम पंचायत से लेकर जनपद पंचायत नगर पंचायतों सहित चप्पे-चप्पे में कांग्रेस का राज था फिर भी यह सीट अनुसूचित जाति के खाते में चले जाने के कारण भाजपा और बसपा में समाहित हो गई जहां पर बसपा की शीला दीक्षित विधायक थी। परंतु उनके विधायकी के दौरान क्षेत्र के अंदर कई जाति विवाद के साथ-साथ विधायक के ऊपर कमीशन खोरी के आरोप लगे थे जिस कारण मतदाताओं के बीच आक्रोश था। इसी का परिणाम है कि इस सीट से कांग्रेस की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष बबिता साकेत व भाजपा के पूर्व विधायक पंचूलाल के बीच मुकाबला की बात हर गली चौराहे में चर्चा का विषय बनी हुई है।
टीकाकार मानते हैं रीवा जिले से लगी गुढ विधासभा क्षेत्र जहां पर कां्रग्रेस भाजपा व सपा का जबरजस्त मुकाबला है इस सीट से कौन कितने मतों से जीत जाये इस बात का अंदाजा न तो राजनीति के जानकार लगा पा रहे हैं और न ही क्षेत्र की मतदाताओं के बीच आवोहवा दिखाई दे रही है। कई क्षेत्रों में सपा प्रत्याशी का जबरजस्त दबाव होने के कारण लोग मुंह नहीं खोल पा रहे हें तो वहीं रीवा जिले के सबसे जुझारू और योग्य विधायक सुंदरलाल तिवारी के जीत के प्रति आश्वानिव्त लोग अपने मुंह से अपनी बात कह पाने में समर्थ नहीं दिखते पर अधिकांशत: दावे कांग्रेस के पक्ष में तो उभरे हुए दावे सपा के लिए हो रहे हैं। पर राजनीति के जानकार भाजपा के उम्मीदवार नागेन्द्र सिंह की राजनीतिक क्षमता को कम नहीं आंक पा रहे हैं। 

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